
यहां अचानक दिखाई दिया रहस्यमय गोल पत्थर, वैज्ञानिक भी पहेली में उलझे!
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चेक रिपब्लिक की राजधानी प्राग के एक इलाके में रहस्यमयी पुराने गोलाकार पत्थर को देखकर पुरातत्वविदों की टीम भी चौंक गई. खोज के बाद बताया गया कि यह पत्थर सात हजार साल पुराने हो सकते हैं. हालांकि, अभी इस बारे में और भी रिसर्च की जा रही है.
दुनिया में इतने ज्यादा रहस्य छुपे हैं, जिनकी कल्पना भी लोग नहीं कर पाते हैं. कई बार इतनी ज्यादा पुरानी चीजों की खोज हो जाती है, जिसे देखकर पुरातत्वविद भी हैरान रह जाते हैं. ऐसा ही कुछ चेक रिपब्लिक के प्राग में मिला है, जिसपर दुनिया भर के लोगों की नजरें टिक गई हैं. दरअसल, प्राग में स्टोनहेंज और मिस्र के पिरामिडों से भी पुराने स्टोन राउंडेल (गोल आकार का पत्थर) की खोज की गई है. पत्थर के आसपास खुदाई में भी कई ऐसी प्राचीन चीजें मिली हैं, जिनको लेकर भी सटीक जानकारी जुटाई जा रही है.
पुरातत्वविदों का कहना है कि इसका निर्माण स्टोन एज के समय में करीब 7 हजार साल पहले हुआ होगा. हालांकि, इसे क्यों बनाया होगा, इसका अभी तक कारण नहीं पता चल पाया है. चेक एकेडमी ऑफ साइंस के पुरातत्व विभाग के जारोसलव रिद्की ने रेडियो प्राग इंटरनेशनल से बातचीत में बताया कि राउंडेल (एक तरह का गोलाकार पत्थर) पूरे यूरोप में आर्किटेक्चर का सबसे पुराना सबूत है.
180 फीट है पत्थर की चौड़ाई
खास बात है कि इस गोलाकार निओलिथिक स्ट्रक्चर की चौड़ाई करीब 180 फीट है, जो पीसा की मीनार से भी ज्यादा लंबा है और इसके तीन द्वार हैं. खास बात है कि साल 1980 में ही इस इलाके में गैस और पानी की लाइन डालते समय मजदूरों ने ऐतिहासिक राउंडेल की खोज कर ली थी. लेकिन अब करीब 40 सालों के बाद इसकी खोज पूरी तरह की गई है.
खोज करने वाली टीम को लीड कर रहे पुरातत्वविद मिरोसलव कराउस ने इस बारे में रेडियो प्राग इंटरनेशनल से बताया कि स्टोन एज के दौरान ही इन राउंडल्स का निर्माण किया गया है. यह उस समय के हैं, जब लोहे की खोज भी नहीं हुई थी. पुरातत्वविद ने बताया कि उस समय पर इसे एक आर्थिक और व्यापार केंद्र की तरह इस्तेमाल किया होगा. या यह एक धार्मिक पंथ का केंद्र भी हो सकता है.
वहीं पुरातत्वविद जारोसलव रिद्की ने लाइव साइंस को बताया कि राउंडेल बनाने वाले लोगों के बारे में कम ही जानकारी मिल सकी है. रिद्की के अनुसार, इसे बनाने वाले मिट्टी की कला से जुड़े लोग थे, जो 4900 बीसीई से 4400 बीसीई तक एक्टिव रहे थे.

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