
मैं अनमैरिड थी, अबॉर्शन कराने क्लीनिक पहुंची तो... नोएडा की लड़की ने सुनाई आपबीती
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मां बनना अधिकतर लड़कियों के लिए सुखद अनुभव होता है लेकिन अगर प्रेग्नेंसी अनचाही हो तो पूरा परिदृश्य ही बदल जाता है. बिना शादी के मां बनना तो भारतीय समाज में और भी टैबू है. ऐसे में जब लड़कियां इस तरह की अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा पाने के लिए क्लीनिक पहुंचती है तो वहां भी उन्हें भयावह अनुभवों से गुजरना पड़ता है.
भारत में बिना शादी के प्रेग्नेंट होना आज भी एक बहुत बड़ा गुनाह माना जाता है. ऐसे में, कोई अनमैरिड लड़की अगर अबॉर्शन कराना चाहे तो उसे बहुत ही मुश्किलों से गुजरना पड़ता है. इस मजबूरी का फायदा क्लीनिक और डॉक्टर्स भी उठाते हैं. कुछ ऐसा ही हुआ एक 19 साल की लड़की के साथ जिसे एक दिन अचानक पता चला कि वो प्रेग्नेंट है जिसके बाद हर किसी की तरह वो भी सीधे डॉक्टर के पास गई लेकिन वहां जो उसके साथ हुआ, उसने उस लड़की का डॉक्टरों पर से भरोसा ही उठा दिया.
क्या है इस लड़की की कहानी ये हादसा जब इस लड़की के साथ हुआ, तब वो एक कॉलेज स्टूडेंट थी. वो अबॉर्शन को लेकर जागरुक करने वाली वेबसाइट 'पपाया परेड' से अपनी कहानी सुनाते हुए कहती है, ''पहली बार जब मैं गर्भवती हुई तो मैं 19 साल की थी. मुझे पहले से ही यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) की बीमारी रही है इसलिए बार-बार टॉयलेट जाना, जो गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों में से एक है, उसे मैंने नजरअंदाज कर दिया. मुझे मॉर्निंग सिकनेस या उल्टी-जी मचलाना जैसी कोई समस्या नहीं हुई. लेकिन कई हफ्ते बीतने के बाद जब मेरे पीरियड्स नहीं आए तो मुझे फिक्र होने लगी. मेरा रिलेशनशिप थी और मुझे डर था कि शायद मैं प्रेग्नेंट हूं. मेरा ब्वॉयफ्रेंड उस समय मुंबई में था और मैं अपने कॉलेज की छुट्टियों के लिए गुवाहाटी आई थी. मेरे लिए उसके और अपने कुछ करीबी लोगों के बिना इस स्थिति से निपटना मुश्किल था.''
वो आगे कहती है, ''मुझे अक्सर पीरियड्स अनियिमित रहते थे इसलिए शुरुआत में मेरे ब्वॉयफ्रेंड ने इसे नजरअंदाज कर दिया. एक महीना बीत गया और अगला महीना शुरू हो गया लेकिन मुझे पीरियड्स नहीं हुए. इसके बाद उसे भी फिक्र होने लगी. इसके मैंने कई बार खुद प्रेग्नेंसी टेस्ट किए जो सभी पॉजिटिव रहे. पांच से छह हफ्ते में मुझे पता चला कि मैं प्रेग्नेंट हूं और ये मेरे लिए बहुत डरावना था. उस समय मैं अपने परिवार के साथ रह रही थी.''
डॉक्टर ने जबरन सर्जिकल अबॉर्शन का दबाव बनाया उन्होंने मुझे कुछ डॉक्टरों के नाम बताए जिनसे उसने पहले ही बात कर स्थिति समझा दी थी. मैं अपनी एक दोस्त के साथ डॉक्टर के पास गई. वहां पहुंचने के बाद डॉक्टर मुझ पर सर्जिकल अबॉर्शन का जोर देने लगीं. बिना सर्जरी दवाइयों के भी ये संभव था. लेकिन उन्होंने इसका जिक्र तक नहीं किया. लेकिन मैंने जानकारी इकट्ठा की और तय किया कि मुझे ये सब कैसे करना है. जब उन्होंने मुझे सर्जिकल अबॉर्शन, अपनी फीस और क्या करना है, क्या नहीं करना है, ये सब बताया तो मैंने उनसे कहा कि मुझे दवाओं के जरिए ये करना है. उन्हें ये सुनकर अच्छा नहीं लगा कि मैं दवाओं के बारे में जानती थी और इसी के जरिए अबॉर्शन कराना चाहती थी. शायद उन्होंने सोचा कि अब उन्हें उतना पैसा नहीं मिलेगा जो उन्होंने सोचा था.
उन्होंने मुझे दवाओं की जो कीमत बताई, वो केमिस्ट स्टोर के मुकाबले तीन गुना ज्यादा थी, जिसका पता मुझे अपने दूसरे अबॉर्शन के दौरान चला. इसके अलावा उन्होंने मुझसे फीस के तौर पर 1500 रुपये भी लिए. मैं कोई परेशानी नहीं चाहती थी और बस इस स्थिति से बाहर आना चाहती थी. डॉक्टर ने मुझे बताया कि इसे कैसे खाना है और मुझे कैसा अनुभव होगा. दवा लेने के बाद पहला दिन मेरे जीवन का सबसे दर्दनाक दिन साबित हुआ. मुझे बहुत तेज़ खून बह रहा था और असहनीय दर्द हो रहा था. मेरा शरीर शिथिल पड़ गया था और मुझे उसी दिन मुंबई के लिए फ्लाइट पकड़नी थी.
कुछ पैसों के लालच ने मुझे ट्रॉमा में डाल दिया महिला ने बताया, ''मैं उस वक्त यही सोच रही थी कि काश वो डॉक्टर पैसों का लालच ना करतीं तो मुझे इतना दर्द नहीं सहना पड़ता. मैं कम उम्र की थी, स्वस्थ थी और मुझे किसी तरह की दिक्कत नहीं थी इसलिए मैंने ये रास्ता चुना था. लेकिन डॉक्टर ने मेरे इस फैसले पर नकारात्मक रवैया दिखाया जिसकी वजह से मुझे बेहद तनाव से गुजरना पड़ा. मैंने जब उनसे सर्जिकल अबॉर्शन के लिए मना कर दिया तो उनका व्यवहार पूरी तरह बदल गया जिससे मुझे काफी हैरानी हुई. जब तक मैं सौ फीसदी सुनिश्चित नहीं हो गई कि मेरा अबॉर्शन हो गया है जिसमें पूरी तरह 20 से 25 दिन लगे, मैं उस पूरी अवधि में बेहद तनाव से गुजरी. मैं हर दिन ये सोचकर रोती थी कि शायद मुझ पर बच्चे को पैदा करने का दबाव बनाया जा रहा है.''

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