मुस्लिम वोट-बैंक के एक हिस्से के लिए चादर बिछा रहे हैं 'सूफी' मोदी
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बीजेपी के रडार पर आये नये वोटर सूफी मुस्लिम हैं. 2024 के आम चुनाव से पहले मुस्लिम वोट बैंक में घुसपैठ की ये नयी कोशिश है. पसमांदा मुस्लिमों के प्रति बीजेपी की आतुरता पहले देखी ही जा चुकी है - ये अभियान, असल में, विपक्षी गठबंधन INDIA के खिलाफ नयी मोर्चेबंदी है. उत्तर भारत में सूफी मुसलमानों की जो आबादी है, उसके हिसाब से बीजेपी का दांव होशियारी भरा माना जा सकता है.
बीजेपी को सूफी मत के लोग इसलिए भी पसंद हैं क्योंकि वे सारे मुस्लिम नहीं हैं. वैसे बीजेपी को मतलब सिर्फ सूफी मुस्लिमों से है. जैसे अब तक पसमांदा मुस्लिमों को लेकर देखने को मिली है. पसमांदा मुस्लिमों से बीजेपी की करीबी की वजह उनका पिछड़े वर्ग से होना है. देखें तो बीजेपी पसमांदा मुस्लिमों के प्रति उतनी ही सदाशयता दिखाती है, जितना OBC को लेकर कांग्रेस और INDIA खेमे के नेता और राजनीतिक दलों की है - और इस तरह सूफी मुसलमानों के जरिये बीजेपी अब विपक्षी वोट बैंक में सेंध लगाकर तोड़ फोड़ मचाना चाहती है.
बीजेपी ने अभी अभी जो सूफी संवाद अभियान कार्यक्रम किया है, उसका मकसद साफ तौर पर यूपी में विपक्षी एकजुटता की कवायद में बाधा डालना है. केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के दो साल बाद 2016 में दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सूफी सम्मेलन भी हुआ था जिसमें, 'भारत माता की जय' के नारे भी लगे थे - और मोदी का भाषण भी हुआ था.
लखनऊ के कार्यक्रम में भी एक खास नारा लगा है, "ना दूरी है ना खाई है, मोदी हमारा भाई है!" ये नारा बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चे की तरफ से उत्तर प्रदेश के 100 दरगाहों से आये 200 सूफी लोगों से लगवाया गया.
लगे हाथ सूफी मत मानने वालों से अपील की गयी कि वे पूरे देश के मुस्लिम समुदाय के बीच केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों और सरकारी योजनाओं के बारे में बतायें. लखनऊ की ही तरह बीजेपी देश भर में ऐसे कई कार्यक्रम करने जा रही है. इसके लिए 22 राज्यों में बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा की तरफ से समितियां बनायी गयी हैं - और इस तरह 10 हजार दरगाह प्रमुखों तक पहुंचने का प्रयास किया जाना है.
अव्वल तो सूफी मत को मानने वालों मुस्लिम समुदाय के अलावा बाकी धर्मों के लोग भी शामिल हैं, लेकिन उत्तर भारत में मुस्लिम सबसे ज्यादा हैं. Pew research 2011 की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर भारत के 37 फीसदी मुसलमान खुद को सूफी मानते हैं. 2024 के आम चुनाव में बीजेपी की कोशिश उत्तर भारत की सीटें बरकरार रखते हुए हारी हुई सीटों को अपनी झोली में डालने की कोशिश है, तो दक्षिण भारत में कर्नाटक से आगे भी पांव जमाने का प्रयास है. ऐसे में भाजपा का यह ताजा चुनावी सूफी संगीत नए वोटर आकर्षित कर सकता है.
सूफी मुसलमानों से क्या चाहती है बीजेपी?
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