मुजफ्फरपुर: जहां जलती हैं चिताएं, वहां पढ़ाई कर रहे ये बच्चे, तीन दोस्तों की नेक मुहिम लाई रंग
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चारों ओर शांति, जलती चिताएं, उदास चेहरे श्मशान घाट पर यही दृश्य दिखाई देता है, लेकिन इस नजारे के बीच मुजफ्फरपुर मुक्तिधाम श्मशान घाट पर आपको बच्चों के पढ़ने की आवाजें भी सुनाई देंगी.
चारों ओर शांति, जलती चिताएं, उदास चेहरे श्मशान घाट पर यही दृश्य दिखाई देता है, लेकिन इस नजारे के बीच मुजफ्फरपुर मुक्तिधाम श्मशान घाट पर आपको बच्चों के पढ़ने की आवाजें भी सुनाई देंगी. कभी लाशों से बताशा-फल चुनने वाले गरीब बच्चों के हाथ में कलम आई, तो उनके सपनों को भी पंख लग गए. ये सब संभव हुआ तीन दोस्तों की वजह से, जिन्होंने गरीबी के अंधेरे में जीवन व्यतीत कर रहे परिवारों के बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजाला करने का नेक कदम उठाया. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में सिकन्दरपुर स्थित मुक्तिधाम के आसपास के गरीब परिवार के बच्चे लाश पर से बताशा और फल चुनते थे, लेकिन आज वे दो दूनी चार पढ़ रहे हैं. यह मुमकिन हुआ मुक्तिधाम संयोजन समिति और सुमित नाम के युवक के संयुक्त प्रयासों से.अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी, कुमार को पिछले साल अप्रैल में मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त किया गया था. इससे पहले वह अरुणाचल प्रदेश के सीएस थे. 60 वर्षीय नौकरशाह पिछले साल 30 नवंबर को रिटायर होने वाले थे. तब 6 महीने के लिए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया था.
नांदेड़ के पेंगांगा नदी के किनारे एक परिवार ओपने रिश्तेदार के साथ मटन पार्टी करने गया था. सभी लोगों ने पार्टी में खाना खाया. इसके बाद करीब 5 से 10 लोग नदी में नहाने चले गए. सभी एक-दूसरे पर पानी फेंककर नदी में नहाने का आनंद ले रहे थे. इसी दौरान एक लड़की डूबने लगी. उसे बचाने गई दो अन्य लड़कियां भी डूब गई.
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