मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में 17 साल बाद फिर होगी सुनवाई, धमाकों में गई थी 189 लोगों की जान
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इस मामले में महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने जांच की थी और इंडियन मुजाहिदीन के 13 सदस्यों को गिरफ्तार किया था. मामले की सुनवाई सितंबर 2015 में शुरू हुई. 8 साल से अधिक समय तक चली सुनवाई के बाद अक्टूबर 2015 में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत एक विशेष अदालत ने 5 लोगों को मौत की सजा सुनाई.
11 जुलाई 2006 का दिन इतिहास के पन्नों में ब्लैक डे के तौर पर दर्ज है. क्योंकि इस दिन मुंबई की लोकल ट्रेनों में एक नहीं, 7 ब्लास्ट हुए थे. इन धमाकों ने मुंबई को हिलाकर रख दिया था. इस धमाके में 189 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 824 लोग घायल हो गए थे. इस घटना को 17 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिकाओं की सुनवाई की जाएगी. शुक्रवार को विशेष लोक अभियोजक राजा ठाकरे ने कहा कि वह 12 अक्टूबर को मामले में शुरुआती बहस करेंगे.
पिछली कुछ सुनवाइयों में अभियोजन पक्ष ने या तो विशेष लोक अभियोजक राजा ठाकरे को नियुक्त नहीं किया था या कोर्ट में यह तय नहीं हुआ था कि शुरुआती दलीलें कौन देगा. उधर, दोषियों में से एक का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील युग मोहित चौधरी ने दावा किया था कि अभियोजन पक्ष ने मामले की शुरुआत की थी. दूसरी ओर ठाकरे ने तर्क दिया कि दोषियों द्वारा दायर की गई कई अपीलों के कारण बहस शुरू करना अधिक सुविधाजनक होगा.
इससे पहले कोर्ट ने विशेष लोक अभियोजक नियुक्त नहीं करने पर महाराष्ट्र सरकार से नाराजगी जताई थी, जिसके बाद ठाकरे को नियुक्त किया गया था. 11 जुलाई 2006 को शहर की लोकल ट्रेनों की पश्चिमी रेलवे लाइन पर एक के बाद एक 7 धमाके हुए थे. पहला ब्लास्ट चर्चगेट से बोरीवली जाने वाली ट्रेन में शाम 6:20 बजे हुआ. इसके बाद जब ट्रेन खार और सांताक्रूज़ स्टेशन के बीच थी, तब ब्लास्ट हुआ. लगभग उसी समय बांद्रा और खार के बीच एक लोकल ट्रेन में एक और बम विस्फोट हुआ .इसके बाद जोगेश्वरी, माहिम, मीरा रोड-भायंदर, माटुंगा-माहिम और बोरीवली से पांच और ब्लास्ट हुए थे.
इस मामले में महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने जांच की थी और इंडियन मुजाहिदीन के 13 सदस्यों को गिरफ्तार किया था. मामले की सुनवाई सितंबर 2015 में शुरू हुई. 8 साल से अधिक समय तक चली सुनवाई के बाद अक्टूबर 2015 में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत एक विशेष अदालत ने 5 लोगों- एहतेशाम सिद्दीकी, आसिफ खान, फैसल शेख, नावेद खान और कमाल अंसारी को मौत की सजा सुनाई. जबकि अन्य 7 लोगों को ट्रेनों में बम रखने के आरोप में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई.
मौत की सजा पर बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा मुहर लगनी है, जबकि दोषियों ने भी 2015 में ही अपनी दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी. हालांकि, तब से याचिकाओं की सुनवाई उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित थी.
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