मालेगांव ब्लास्ट केसः NIA कोर्ट में पेश हुईं बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर, देरी हुई तो बताई ये वजह
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अभियोजन पक्ष ने 14 सितंबर को अदालत को सूचना दी थी कि मामले में साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अभियोजन पक्ष के किसी भी गवाह से पूछताछ की जरूरत नहीं है. एक बार साक्ष्य की रिकॉर्डिंग पूरी हो जाने के बाद, अदालत आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 के तहत आरोपी के बयान दर्ज करती है.
2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी भारतीय जनता पार्टी की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर सोमवार को यहां एक विशेष एनआईए अदालत में पेश हुईं. मामले के सात आरोपियों में से एक ठाकुर दोपहर 2 बजे के आसपास यहां पहुंचीं. वह इस मामले में अन्य आरोपियों के अदालत में पेश होने के लगभग दो घंटे बाद कोर्ट पहुंची थीं. ठाकुर ने अदालत को बताया कि वह स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं, और इस वजह से सुबह जल्दी उठने में उन्हें मुश्किल होती है. इसके बाद अदालत ने आरोपियों के बयान दर्ज करने के लिए मामले को 3 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया.
पूरी हो चुकी है साक्ष्य दर्ज कराने की प्रक्रिया अभियोजन पक्ष ने 14 सितंबर को अदालत को सूचना दी थी कि मामले में साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अभियोजन पक्ष के किसी भी गवाह से पूछताछ की जरूरत नहीं है. एक बार साक्ष्य की रिकॉर्डिंग पूरी हो जाने के बाद, अदालत आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 के तहत आरोपी के बयान दर्ज करती है.
6 आरोपी अदालत में हुए हाजिर प्रावधान के अनुसार, अदालत आम तौर पर मामले पर अभियुक्तों से सवाल करती है ताकि उन्हें उनके खिलाफ सबूत में दिखाई देने वाली किसी भी परिस्थिति को व्यक्तिगत रूप से समझाने में सक्षम बनाया जा सके. केवल छह आरोपी - साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय रहीरकर, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी सोमवार को अदालत में पेश हुए.
सुधाकर द्विवेदी उपस्थित नहीं थे और उनके वकील ने अदालत में उपस्थित होने में असमर्थता का कारण धार्मिक अनुष्ठानों का हवाला दिया और उपस्थिति से छूट मांगी. हालांकि, अदालत ने याचिका खारिज कर दी और द्विवेदी के खिलाफ 5,000 रुपये का जमानती वारंट जारी किया.
29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुआ था विस्फोट 29 सितंबर, 2008 को उत्तरी महाराष्ट्र में मुंबई से लगभग 200 किमी दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हो गए. 2011 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को स्थानांतरित होने से पहले इस मामले की शुरुआत में महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा जांच की गई थी.
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