मार्कस काउटो: वो शख्स जिसकी वजह से दुनिया ने सचिन-कांबली के वर्ल्ड रिकॉर्ड को जाना
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सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने हैरिस शील्ड मुकाबले में नाबाद 664 रन की चमत्कारिक साझेदारी की थी. उस भागीदारी के दौरान सचिन 326 और विनोद कांबली 349 रन पर नाबाद रहे थे. सचिन और विनोद कांबली की इस ऐतिहासिक साझेदारी से दुनिया परिचित नहीं हो पाती यदि अंपायर मार्कस काउटो ना होते.
मास्टर ब्लास्टर सचिन रमेश तेंदुलकर सोमवार (24 अप्रैल) को 50 साल के हो गए. सचिन ने महज 16 साल 205 दिन की नन्ही सी उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा था. इसके बाद सचिन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 24 साल तक अपने खेल से फैन्स का भरपूर मनोरंजन किया. इस अद्भुत सफर के दौरान सचिन ने इतने कीर्तिमान बना डाले कि उन्हें 'क्रिकेट के भगवान' का दर्जा दे दिया गया.
सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट जगत में पहचान विनोद कांबली के साथ मिलकर की गई यादगार पार्टनरशिप ने दिलाई थी. साल 1988 में 23-25 फरवरी के दौरान मुंबई के आजाद मैदान पर हैरिस शील्ड का सेमीफाइनल मुकाबला खेला गया था. उस मुकाबले में सचिन और विनोद कांबली ने शारदाश्रम विद्यामंदिर टीम की ओर से सेंट जेवियर हाई स्कूल के खिलाफ नाबाद 664 रन की चमत्कारिक साझेदारी की थी.
उस भागीदारी के दौरान सचिन 326 और विनोद कांबली 349 रन पर नाबाद रहे थे. उस समय क्रिकेट के किसी भी आयु वर्ग में किसी विकेट के लिए यह सबसे बड़ी पार्टनरशिप थी. सचिन और कांबली ने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों टी. पल्टन और एन. रिपन के बनाए गए 641 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ा था. हालांकि, 19 साल बाद हैदराबाद में मनोज कुमार और मो. शैबाज ने 721 रन की साझेदारी कर सचिन-कांबली का रिकॉर्ड तोड़ दिया.
मार्कस काउटो की मेहनत रंग लाई
सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली की इस ऐतिहासिक साझेदारी से दुनिया परिचित नहीं हो पाती यदि अंपायर मार्कस काउटो ना होते. दरअसल क्रिकेट की बाइबल कही जाने वाली विजडन पत्रिका ने सचिन और कांबली के इस रिकॉर्ड को प्रकाशित नहीं किया था. लेकिन मार्कस काउटो की कड़ी मेहनत के चलते ही दुनिया को एक महीने बाद इस रिकॉर्ड पार्टनरशिप के बारे में पता चल पाया.
मार्कस काउटो के मुताबिक उस मैच के लिए 10 स्कोरर थे और स्कोरकार्ड में भी गड़बड़ी आ गई थी. ऐसे में स्कोर का मिलान करने के लिए माकर्स काउटो ने सचिन तेंदुलकर के 326 रनों के स्कोर में से तीन रन हटा दिए. सचिन अब भी मार्कस काउटो को वह बात याद दिलाना नहीं भूलते. सचिन का मानना है कि तीन रन अतिरिक्त (extras) में से कम करने चाहिए थे.
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