महीनेभर बाद कौन संभालेगा यूरोपियन यूनियन, 27 देशों में होने जा रहा ये चुनाव दुनिया के लिए क्यों अहम?
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यूरोप के 27 देशों में जून में चुनाव होने जा रहे हैं. इस दौरान लगभग साढ़े 4 सौ मिलियन वोटर यूरोपियन संसद सदस्यों को चुनेंगे. ये दुनिया की अकेली सीधी चुनी हुई इंटरनेशनल असेंबली है. EU के चुनाव का असर केवल वहीं तक सीमित नहीं, बल्कि इसका फर्क पूरी दुनिया पर दिखाई देगा.
यूरोपियन पार्लियामेंट की 720 सीटों पर यानी 27 देशों में जून में चुनाव होने जा रहा है. फिलहाल वहां के कई देशों में दक्षिणपंथ की हवा चल रही है. अगर असेंबली में राइट विंग के लीडर चुनकर आए तो वे तय करेंगे कि देश की सीमा कौन पार कर सकता है, कौन नहीं. कई दूसरे मुद्दे भी ईयू संसद ही तय करेगी. हर पांच साल में होने वाला ये चुनाव केवल यूरोप नहीं, बल्कि दुनिया पर असर डालता है.
यूरोपियन यूनियन के 27 सदस्य देशों में 6 से 9 जून के बीच साढ़े 4 सौ मिलियन लोग मतदान के जरिए अपने प्रतिनिधियों को यूरोपियन संसद सदस्य (मेंबर ऑफ यूरोपियन यूनियन) के तौर पर चुनेंगे.
क्या है ईयू संसद यह दुनिया की अकेली सीधी चुनी हुई इंटरनेशनल सभा है. इसमें संसद के सदस्य यूरोपीय संघ के नागरिकों के हितों की बात करते हैं. पहले ये केवल एक सुझाव देने वाली संस्था थी, जो यूरोपियन यूनियन के फायदे की बात कहती. देश इसे मानें या न मानें, उनकी मर्जी थी. लेकिन अब इसके पास काफी शक्तियां आ चुकी हैं.
कितनी शक्ति है इसके पास मेंबर ऑफ यूरोपियन यूनियन (एमईपी) सदस्य देशों की सरकारों के साथ मिलकर नए-नए कानून बनाते हैं. वे ग्लोबल मुद्दों पर फैसला लेते हैं, जैसे क्लाइमेट चेंज और रिफ्यूजी पॉलिसी. वे ईयू का बजट तय करते हैं. हालांकि देशों के अंदरुनी मामलों में एक हद तक ही दखल ये बॉडी दे सकती है, लेकिन ये है कि एक कॉमन लाइन होती है, जिसपर सभी चलने की कोशिश करते हैं.
किनके पास है कितना प्रतिनिधित्व
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