
मलबे में दबे मकान, धराशायी सड़कें और लापता लोगों की तलाश... उत्तरकाशी के धराली में चारों ओर तबाही के निशान, देखें Ground Report
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ऐसे में धराली गांव से लगभग 35 किलोमीटर दूर भटवारी इलाके में ग्राउंड जीरो पर मौजूदा आज तक के संवाददाता ने मौजूदा स्थिति से रूबरू कराया. इस आपदा के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौती मौसम है. मौसम बेहद खराब है. बारिश हो रही है. कई इलाकों में भारी बारिश का भी अलर्ट है. लेकिन धराली गांव तक पहुंचने के रास्ते में इतने लैंडस्लाइड हैं कि एनडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमों को आगे बढ़ने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मंगलवार को भारी बारिश के बाद बादल फटने से भयानक तबाही मची. इस तबाही में धराली गांव तहस-नहस हो गया. पूरा गांव मलबे की चपेट में आया. पानी के सैलाब के बीच लोगों की चीख-पुकार ने दिल झकझोर दिया. इस हादसे में अब तक चार लोगों की मौत की खबर है जबकि पचास से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं. इस बीच सेना का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है.
इस तबाही की चपेट में एक आर्मी कैंप भी आया है. यहां पर आर्मी मेस और कैफे हैं. कई जवानों के हादसे लापता होने की आशंका है. हर्षिल में सेना की 14 राजपूताना राइफल्स की यूनिट तैनात है. हर्षिल में नदी के किनारे बना हैलीपैड भी बह गया है. भारी बारिश की वजह से हेलीकॉप्टर से राहत और बचाव का काम नहीं हो पा रहा है.
धराली आपदा को लेकर क्या है अपडेट?
NDRF की चार टीमें मौके पर पहुंच कर रेस्क्यू में जुटी हैं. इसके अलावा आईटीबीपी की तीन टीमों को भी राहत कार्यों में लगाया गया है. राज्य और केंद्र सरकारेंस्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने लोगों से नदी से दूर रहने की अपील कर रही हैं. राज्य सरकार लगातार हालत पर नजर बनाए हुए हैं.
लगातार हो रही भारी वर्षा के कारण गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर कई स्थानों पर मलबा और बोल्डर गिरे हैं. इससे आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई है. BRO युद्धस्तर पर नेशनल हाईवे को खोलने में जुटा है. हादसे में आर्मी कैंप भी चपेट में आया है. कई जवानों के लापता होने की खबर है. भारी बारिश की वजह से हेलीकॉप्टर से राहत और बचाव का काम नहीं हो पा रहा है.
धराली के खीर गंगा में आई बाढ़ से हर्षिल हेलीपैड के क्षेत्र में जलभराव हो गया है. उत्तरकाशी के निचले हिस्सों में बाढ़ का खतरा बन सकता है. तबाही के डर से अब कई लोग इलाका छोड़कर जा रहे हैं.

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