
मनी लॉन्ड्रिंग केस: कौन है नंद किशोर चतुर्वेदी, सीएम ठाकरे के साले से क्या कनेक्शन?
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नंदकिशोर चतुर्वेदी ने करीब 150 फर्जी कंपनियां खोल रखी हैं और कागजों में ज्यादातर के ऑफिस कोलकाता में बनाए गए हैं. इन्हीं कंपनियों के जरिए वह काले धन को कई तरह के लेन-देने के जरिए सफेद में बदलने का खेल करता रहा है. इस लेनदेन से हुए मुनाफे के पैसे का इस्तेमाल वह उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, पुणे और कुछ अन्य शहरों में प्रॉपर्टी बनाने में करता था.
मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कार्रवाई करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साले श्रीधर पाटणकर से जुड़े 11 फ्लैट सीज कर दिए हैं. इस मामले में ईडी के अधिकारियों ने एक नंद किशोर चतुर्वेदी नाम के एक शख्स का खुलासा किया है जिसके बारे में बताया कि ये एक बड़ा हवाला कारोबारी है जो कि मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल है. नंदकिशोर हमसफर डीलर्स नाम से एक फर्जी कंपनी चलाता है जिसके जरिए श्रीधर पाटणकर की फर्म को एक लोन दिया गया था. मिली जानकारी के मुताबिक नंदकिशोर चतुर्वेदी उत्तर प्रदेश के मथुरा का रहने वाला है जो कि पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट है. शुरू में चतुर्वेदी ने छोटे उद्योगपतियों को वित्तीय सलाह देने के काम से शुरुआत की थी और फिर धीरे-धीरे उसने हवाला ऑपरेशन में भी हाथ आजमाना शुरू कर दिया.
हवाला कारोबार के गुर सीखने के बाद नंदकिशोर ने फर्जी कंपनियां बनाना शुरू कर दिया. बीतते समय के साथ ही उसके क्लाइंट बढ़ते चले गए. साल 2000 तक उसने राजनीतिक गलियारों में रसूख रखने वाले लोगों को भी हवाला कारोबार में जोड़ना शुरू कर दिया.
नोटबंदी के ऐलान के बाद उसका नाम सबसे पहले इस केस में सामने आया और साल 2017 से ही वह ईडी के अधिकारियों की नजर में आ चुका था. कालेधन को सफेद बनाने के खेल में चतुर्वेदी के खिलाफ जांच जारी है और जिन मामलों में उससे पड़ताल की जा रही है उसमें दो पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित महाराष्ट्र के कई राजनीतिक परिवारों के नाम भी जुड़े हुए हैं.
प्रवर्तन निदेशालय को नंदकिशोर चतुर्वेदी की कई मामलों में तलाश है वहीं सूत्रों का कहना है कि उसके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया जा चुका है. इसके अलावा इनकम टैक्स और इंटलीजेंस एजेंसियां भी उससे पूछताछ करना चाहती हैं.
100 से ज्यादा कंपनियों का है खेल अब तक हुई जांच के मुताबिक नंदकिशोर चतुर्वेदी ने करीब 150 फर्जी कंपनियां खोल रखी हैं और कागजों में ज्यादातर के ऑफिस कोलकाता में बनाए गए हैं. इन्हीं कंपनियों के जरिए वह काले धन को कई तरह के लेन-देने के जरिए सफेद में बदलने का खेल करता रहा है. इस लेनदेन से हुए मुनाफे के पैसे का इस्तेमाल वह उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, पुणे और कुछ अन्य शहरों में प्रॉपर्टी बनाने में करता था. उसकी तलाश में ईडी ने कई बार छापे मारे, लेकिन वह हर बार भागने में कामयाब हो गया. ईडी के अधिकारी ने उम्मीद जताते हुए बताया कि एक बार वह पकड़ में आ गया तो वह देश भर में कई नेताओं, उद्योगपतियों और कारपोरेट के बारे में जानकारी दे सकता है.

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