मणिपुर हिंसा पर सरकारें क्यों फेल हो रही हैं?
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मणिपुर हिंसा पर सरकारें क्यों फेल,तमिलनाडु में DMK क्यों फंस गई,बिपरजॉय तूफान को लेकर कैसी हैं तैयारियां और कौन सा राज्य फूड सेफ़्टी में पिछड़ा? सुनिए 'दिन भर में'.
तमिलनाडु में DMK की मुश्किल
तमिलनाडु कुछ दिनों से एकाएक चर्चा में आ गया है. एक तो विपक्ष में बैठी बीजेपी अपनी सहयोगी दल अन्नाद्रमुक के साथ भिड़ी बैठी तो दूसरी ओर सत्ता दल के बिजली मंत्री वी सेंथिल बालाजी को ईडी ने मनी लांड्रिंग केस में गिरफ्तार कर लिया है. कल सुबह सात बजे ईडी बालाजी के घर पहुंची, उनसे 24 घंटे पूछताछ हुई. इस दौरान उनके सीने में दर्द उठा जिसकी शिकायत भी उन्होंने अफसरों से की. उन्हें फिर मेडिकल जांच के लिए चेन्नई के सरकारी मेडिकल कॉलेज लाया गया जहां वो रोते दिखाई दिए.
दरअसल सेंथिल बालाजी कल सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे. उन्हें रेड की सूचना मिली तो तुरंत अपने घर आ गए. पूछताछ के बाद ED ने मंत्री सेंथिल को हिरासत में ले लिया गया. सेंथिल बालाजी AIADMK और DMK दोनों के लिए एक जाना माना चेहरा माने जाते हैं. राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के वो करीबी रहे और फिर बाद में डीएमके में आए, तो हम मनी लांडरिंग केस पर आए उससे पहले वी सेंथिल बालाजी के प्रोफाइल पर बात करते हैं. इनका पॉलिटिकल प्रोफाइल कितना स्ट्रांग है और वो डीएमके के लिए कितने इंपॉर्टेंट हैं? सुनिए ‘दिन भर’ में.
मणिपुर में सरकारें क्यों फेल?
मणिपुर सरकार भले ही लाख दफा कह दे कि राज्य की स्थिति नॉर्मल है, हिंसा अब नहीं होगी मगर जब हकीकत मालूम पड़ती है तो ये बातें छलावा लगती हैं. करीब दो महीने से कुकी-मैतई समुदाय में जो हिंसा हो रही है वो कल भी देखने को मिली. राज्य का कांगपोकी जिला, जो कि मैतई बहुल है, वहां कल हमला हुआ जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई, 10 लोग घायल है. पुलिस का कहना है कि हमलावर अत्याधुनिक हथियारों से लैस थे. हिंसा को विराम में लाया जाए इसके लिए केंद्र सरकार ने शांति समिति बनाई मगर कुकी समुदाय इसके विरोध में है, वहीं मैतई इसके समर्थन में. मैतई समुदाय का आरोप है कि कुकी समुदाय के लोग उनके गांवों और जंगल में छिपे लोगों को तलाशने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. 10 जून को असम के मुख्यमंत्री और नॉर्थ-ईस्ट कोआर्डिनेशन काउंसिल के प्रेसिडेंट हिमंता बिस्वा शर्मा मणिपुर गए थे. वहां के हालातों का जायजा लेकर उन्होंने एक रिपोर्ट बनाई जिसे आज उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को सौंपा. 3 मई के बाद से जारी हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 320 घायल हैं, 47 हजार से ज्यादा लोग शिविरों में रहने को मजबूर हैं. वहीं हिंसा के बाद 11 अफसरों का तबादला कर दिया गया है इनमें IAS और IPS अफसर शामिल हैं, लेकिन सवाल ये है कि इतना कुछ करने के बाद, सरकार की कोशिशों के बाद भी 37 लाख की आबादी वाले राज्य में हिंसा रुक क्यों नहीं रही है? सुनिए ‘दिन भर’ में.
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