
मणिपुर में NPP के समर्थन वापसी के बाद खतरे में है बीजेपी सरकार? जानें विधानसभा की तस्वीर
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एनपीपी ने कहा कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर सरकार राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है. संकट से निपटने में अपने असंतोष का हवाला देते हुए, पार्टी ने तत्काल प्रभाव से सरकार से समर्थन वापस लेने के अपने फैसले की घोषणा की.
मणिपुर में जारी अशांति के बीच, कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने रविवार को भाजपा के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे एक आधिकारिक पत्र में एनपीपी ने कहा' 'मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर सरकार राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है. मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, नेशनल पीपुल्स पार्टी ने तत्काल प्रभाव से मणिपुर राज्य में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है.'
अब सवाल ये है कि एनपीपी के समर्थन वापस लेने के बाद क्या मणिपुर में एन बीरेन सिंह सरकार खतरे में आ गई है? तो इसका जवाब है नहीं. अगर 2022 में हुए मणिपुर विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो, बीजेपी ने 32, कांग्रेस ने 5, जदयू ने 6, नागा पीपुल्स फ्रंट ने 5 और कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी ने 7 सीटें जीती थीं. इसके अलावा कुकी पीपुल्स एलायंस ने 2 और 3 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे.
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दरअसल, 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 31 है और बीजेपी के पास खुद के 32 विधायक हैं. 2022 में विधानसभा चुनाव के कुछ समय बाद, जेडीयू के 6 में से 5 विधायक औपचारिक रूप से भगवा पार्टी में शामिल हो गए, जिससे असेंबली में बीजेपी के सदस्यों की संख्या 37 हो गई. इस प्रकार मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के पास अपने दम पर बहुमत है. एनपीपी के 7 विधायकों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद भी सरकार अस्थिर नहीं होगी.
दरअसल, एक ही परिवार के छह लोग- तीन महिलाएं और तीन बच्चे क्षेत्र में 11 नवंबर की हिंसा के बाद जिरीबाम के बोरोबेक्रा क्षेत्र से लापता हो गए थे. सभी छह लोग मैतेई समुदाय से हैं और जून में इलाके में हिंसा भड़कने के बाद बोरोबेक्रा पुलिस स्टेशन में स्थापित एक राहत शिविर में रह रहे थे. मैतेई समूह आरोप लगा रहे हैं कि उनका अपहरण हथियारबंद हमार लोगों ने किया है, जो कथित तौर पर उग्रवादी हैं, जिन्होंने 11 नवंबर की सुबह बोरोब्रेका पुलिस स्टेशन पर हमला किया था.
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