
मणिपुर में भारी बारिश के बाद हालात हुए बेकाबू, सैंकड़ों परिवार हुए बेघर
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मणिपुर में लगातार बारिश के कारण इरिल और थौबल नदियों का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जिससे राजधानी इम्फाल समेत कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. पिछले चार दिनों से जारी बारिश से हजारों लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं और फसलें बर्बाद हो चुकी हैं.
Flood situation in Manipur: मणिपुर में बीते चार दिनों से हो रही लगातार बारिश की वजह से कई जगहों पर बाढ़ ला दी है. नदियां उफान पर आ गई हैं और लोग अपने घर छोड़ सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर हुए. इरिल और थौबल नदियों के किनारे वाले क्षेत्र पूरी तरह से जलमग्न हो गए. मौसम पूर्वानुमान के अनुमान के अनुसार, आने वाले तीन-चार दिन बारिश से राहत मिलती नहीं दिख रही है.
मई 2025 का प्री-मानसून रिकॉर्ड 1990 के बाद का सबसे ज्यादा बारिश वाला प्री-मानसून रहा. इसके अलावा जून में भी जमकर बारिश हुई और अब सितंबर में भी भारी बारिश का दौर जारी है.
भारी बारिश की वजह से थौबल नदी उफान पर है. थौबल के जलभराव से राजधानी इम्फाल और थौबल जिलों में लामलाई से टेलौ चाना तक का क्षेत्र अभी भी पानी में पूरी तरह से डूबा हुआ है. वहीं झरिल नदी की वजह से अवांग लिकाई का बड़ा हिस्सा भी जलमग्न हैं. सैकड़ों घर जलमग्न हो गए हैं. लोगों को खेत भी पानी में डूब गए. धान के खेत भी नष्ट हो गए हैं और फसल को नुक़सान पहुंचा है.
क्षेत्रीगांव के विधायक और नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेता शेख नूरुल हसन का कहना है कि डोलैथाबी बैराज के गेट खोलने के बाद और खराब हुई. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि रविवार को क़रीब ढाई बजे गेट खोला गया, जिसकी वजह से पानी का बहाव और तेज गया. रात भर लोगों ने नदियों के टूटे किनारों पर मिट्टी डालते रहे ताकि पानी अंदर नहीं घुंसे. लेकिन पानी लगातार बढ़ता गया.
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उन्होंने जल संसाधन विभाग पर आलसी प्रतिक्रिया का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की ओर से बाढ़ को लेकर जारी राहत मंजूर लाभार्थियों तक कभी पहुंची ही नहीं. लोगों के द्वारा नदियों की टूटे इलाकों पर मिट्टी डालना स्थायी उपाय है. ज़रूरत है कि सरकार इसका निवारण करे. लेकिन सरकार और विभाग अंधे और बहरे बने हुए हैं.

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