मंदी का खौफ, कोरोना काल के बाद का संकट... चमकते टेक सेक्टर में कैसे आ गई छंटनी की नौबत?
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दुनिया भर की टेक कंपनियों में छंटनी का दौर चल रहा है. गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज टेक कंपनियों ने हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. ऐसे में सभी के मन में एक ही सवाल घूम रहा है कि जो कंपनियां कोविड जैसे मुश्किल दौर में मजबूत नजर आईं, अब उनकी सेहत क्यों बिगड़ने लगी है?
छंटनी...छंटनी और छंटनी. पिछले कुछ महीनों से टेक कंपनियां इसी वजह से सुर्खियों में हैं. छंटनी (layoffs) के इस दौर में टेक कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों (Employees) की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है. कर्मचारियों के ई-मेल बॉक्स में नौकरी से निकाले जाने के मेल पहुंच रहे हैं. माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) और गूगल अल्फाबेट ने हजारों कर्मचारियों को एक झटके में नौकरी से निकाल बाहर कर दिया. यही हाल मेटा (Meta) और अमेजन (Amazon) का है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि टेक जैसे चमकते सेक्टर में छंटनी की नौबत क्यों आ गई?
पिछले कितने लोगों ने गंवाई थी नौकरी?
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल करीब 1,00,000 लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई थी और 2023 में भी ये सिलसिला फिलहाल थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है. उद्योग जगत में नौकरी पर नजर रखने वाली वेबसाइट layoffs.fyi के अनुसार, दो दर्जन से अधिक अमेरिकी टेक कंपनियों ने कहा है कि वे अपने कर्मचारियों की संख्या में 10 फीसदी या उससे अधिक की कटौती करेंगी.
कोविड के बाद बिगड़े हालात
दुनियाभर की टेक कंपिनयों में छंटनी क्यों हो रही है? इस सवाल के जवाब में एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड महामारी के समय लगे लॉकडाउन के दौरान टेक कंपनियों में बड़े पैमाने पर हायरिंग हुई थी. तब माहौल अनुकूल था. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन की पाबंदिया खत्म हुईं और मार्केट खुले टेक सेक्टर की सेहत बिगड़ने लगी.
Salesforce के सीईओ मार्क बेनिओफ ने जनवरी 2023 के पहले सप्ताह में ही आठ हजार कर्मचारियों को निकालने का ऐलान किया था. मार्क बेनिओफ का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान लाखों लोग घर से काम कर रहे थे. इस वजह से कंपनी के टेक्नोलॉजी डिमांड बढ़ रही थी. लेकिन जैसे ही लोग वापस दफ्तर जाने लगे तकनीक की मांग कम हो गई.
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