भूकंप, मलबा, अनियोजित निर्माण... क्यों धंस रहा है जोशीमठ? BHU के प्रोफेसर ने बताई वजह
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उत्तराखंड का जोशीमठ बेबस और लाचार नजर आ रहा है. जोशीमठवासी बेबसी के आंसू रो रहे हैं. बीएचयू के प्रो. बीपी सिंह का कहना है कि जोशीमठ 100 साल पहले आए भूकंप के मलबे पर बसा है. अब इसकी जमीन धंस रही है. पहाड़ों पर विकास डैमेज कंट्रोल व जियोलाजिकल और जियोफिजिकल अध्ययन के बाद ही किया जाना चाहिए.
उत्तराखंड के जोशीमठ में आई त्रासदी के बाद से ही देश-दुनिया के वैज्ञानिक इसकी वजह और नुकसान का अनुमान लगाने में जुटे हैं. वाराणसी के काशी हिंदू विवि के भू-भौतिकी विभाग के वैज्ञानिक भी इसका कारण तलाश रहे हैं. जियोफिजिक्स विभाग के एचओडी प्रो. बीपी सिंह का कहना है कि जोशीमठ की घटना की मुख्य वजह ये है कि हिमालय का पर्यावरण अस्थाई है. जोशीमठ के पास भी थ्रस्ट है.
इन थ्रस्ट में रिएक्टिवेशन होता है और हिमालय बहुत फ्रेजाइल इकोसिस्टम वाला है. इसके अलावा इंडियन प्लेट 5 सेंटीमीटर प्रति वर्ष की रफ्तार से आगे भी जा रही है और यूरेशियन प्लेट नीचे दब भी रही है. इसकी वजह से फाल्ट में रिएक्टिवेशन होता है और सिस्मिक एक्टिविटी भी पैदा होती है, जिससे बहुत सारा डिस्ट्रेक्शन हो जाता है और घरों में दरार भी पड़ जाती है और डीप फ्रैक्चर हो जाता है.
उन्होंने बताया कि जोशीमठ में घरों में दरारें पड़ने का एक और मुख्य कारण है कि वहां पर 100 साल पहले भूकंप आया था. उसका मलबा जमा हो गया था. उसी मलबे के ऊपर जोशीमठ बसा हुआ है और अब वह मलबा नीचे की तरफ धंस रहा है. ये भी एक कारण माना जा सकता है कि घरों में आ रही दरारें उस मलबे के नीचे धंसने की वजह से आ रही हैं.
'विकास सीमित दायरे में होना चाहिए'
पहाड़ों पर हो रहे अंधाधुंध विकास को लेकर प्रो. बीपी सिंह का कहना है कि पहाड़ों पर सतत विकास होना चाहिए था. विकास ऐसा होना चाहिए कि पर्यावरण को बहुत क्षति न पहुंचे और विकास भी साथ में होता रहे. इसलिए विकास सीमित दायरे में ही किया जाना चाहिए. जोशीमठ में सड़कें और फोरलेन भी बन रहा है तो उसका भी दबाव बढ़ता है. हो सकता है कि इस दबाव की वजह से भी क्षति पहुंची हो और वहां फ्रैक्चर होने का यह भी कारण हो सकता है.
'हिमालय में इस तरह की चीजें होती रहेंगी'
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