भारत को भा रहा रूस, पीछे छूट रहा है सऊदी अरब
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यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक स्तर पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहे रूस ने इस साल अप्रैल से जून के दौरान सऊदी अरब से भी सस्ता तेल भारत को बेचा है. जून महीने में सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए भारत में तेल का निर्यात करने वाला रूस दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया. इस मामले में पहला स्थान इराक का है.
भारत में सस्ता तेल बेचे जाने को लेकर रूस को सऊदी अरब और अन्य ओपेक देशों से कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. रूस ने सऊदी अरब की तुलना में भारत में अधिक सस्ता तेल बेचा है. इससे दुनिया में तेल के सबसे बड़े आयातक देश भारत में रूस की बाजार की हिस्सेदारी बढ़ी है.
भारत सरकार के आंकड़ों पर आधारित ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अप्रैल से जून के दौरान रूस ने सऊदी अरब से भी सस्ता तेल भारत को बेचा है. मई महीने में भारत को रूस के तेल पर 19 डॉलर प्रति बैरल तक की छूट मिल रही थी.
जून महीने में सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए भारत में तेल का निर्यात करने वाला रूस दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया. इस मामले में पहला स्थान इराक का है.
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यूरोपीय देशों के रूस पर प्रतिबंधों के बीच भारत और चीन सबसे अधिक मात्रा में रूस का कच्चा तेल खरीद रहे हैं. भारत अपनी तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए 85 फीसदी हिस्सा आयात करता है. रूस से सस्ते दाम पर तेल मिलने से भारत को आर्थिक मोर्चे पर थोड़ी राहत मिली है क्योंकि देश में महंगाई चरम पर है और व्यापार घाटा बढ़ा है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ने के बाद इस साल की दूसरी तिमाही में भारत में कच्चे तेल का आयात बिल बढ़कर 47.5 अरब डॉलर हो गया था जबकि पिछले साल इसी तिमाही में यह बिल 25.1 अरब डॉलर ही था.
सिंगापुर की वंदा इनसाइट्स के संस्थापक वंदना हरी ने ब्लूमबर्ग से बताया, भारत की तेल रिफाइनरी सस्ता कच्चा तेल खरीदने की कोशिश में लगी रहती हैं, जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा हो और रूस का कच्चा तेल इसमें फिट बैठता है. सऊदी अरब और इराक को इससे कोई घाटा नहीं होगा क्योंकि ये देश सीधे तौर पर यूरोप में अधिक सप्लाई कर रहे हैं.