बीजेपी स्थापना दिवस पर फ्यूचर की पॉलिटिक्स के लिए PM मोदी के 5 मंत्र और समझें उनके मायने
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बीजेपी के स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के पार्टी कार्यकर्ताओं को वर्चुअली संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने वंशवाद और परिवारवाद को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा. उन्होंने भ्रष्टाचारियों की राक्षस से तुलना कर सियासी संदेश देने की भी कोशिश की. साथ ही मिशन-2024 का रोडमैप भी कार्यकर्ताओं के सामने रखा.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 44वें स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. इस दौरान पीएम ने बीजेपी के भविष्य की सियासत का खाका खींचते हुए सामाजिक न्याय के बहाने दलित-पिछड़ों को ही सिर्फ साधने की नहीं, बल्कि विपक्ष की कोशिशों पर सीधा प्रहार भी किया. परिवारवाद और भ्रष्टाचार का जिक्र कर उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधा तो 2014 में हुए सत्ता परिवर्तन को देश का पुनर्जागरण बताया. पीएम मोदी ने मिशन-2024 का रोडमैप बताया तो वहीं बीजेपी के फ्यूचर पॉलिटिक्स के लिए 5 बड़े मंत्र भी दिए. हम आपको बताएंगे कि पीएम मोदी ने इन मंत्रों के जरिए क्या संदेश देने की कोशिश की.
बीजेपी के स्थापना दिवस पर पीएम मोदी ने कहा कि सामाजिक न्याय हमारे लिए राजनीतिक नारेबाजी का हिस्सा नहीं है, बल्कि हमारे लिए धर्म (आर्टिकल ऑफ फेथ) है. सामाजिक न्याय के नाम पर कुछ लोग सिर्फ दिखावा करते हैं और अपने परिवार का भला करते हैं, लेकिन अपने समाज का भला नहीं करते हैं. भाजपा सामाजिक न्याय को जीती है और उसका पालन करती है. दबे-कुचले, दलित, पिछड़ों और महिलाओं के लिए हमारी सरकार पूरी तरह से समर्पित है.
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पीएम ने कहा कि 2014 में दबे कुचले वर्ग ने अपनी आवाज़ बुलंद की. बादशाही वंश ने उनके आवाज़ कुचल के रख दी थी, इसलिए हमारी सरकार ने पहले साल में ही उनके उत्थान का काम किया. 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन, 50 करोड़ लोगों को 5 लाख तक का मुफ्त इलाज, 45 करोड़ जनधन खाता और 11 करोड़ शौचालय सामाजिक न्याय का जीता जागता उदाहरण है. ये बिना भेदभाव, बिना तुष्टीकरण और बिना वोटबैंक का ख्याल रखते हुए किया गया है.
प्रधानमंत्री ने सामाजिक न्याय पर जोर ऐसे ही नहीं दिया, बल्कि उसके राजनीतिक मकसद भी हैं. मौजूदा समय में सपा से लेकर आरजेडी, जेडीयू और डीएमके जैसे दल सामाजिक न्याय के मुद्दे पर बीजेपी और मोदी सरकार को घेर रहे हैं. जातीय जनगणना की मांग को लेकर दबाव बना रहे हैं. तमिलनाडु सीएम स्टालिन ने विपक्ष के तमाम ओबीसी-दलित नेताओं को लेकर सामाजिक न्याय की लड़ाई को धार देने की अपील की. इतना ही नहीं, आरक्षण के मुद्दे पर भी विपक्ष मोदी और बीजेपी की सरकार को घेर रहा है. ऐसे में पीएम मोदी ने विपक्षी दलों के सामाजिक न्याय के मुद्दे को बेअसर करने का दांव चला है, क्योंकि मोदी की सियासत एक तरफ हिंदुत्व की है दूसरी तरफ ओबीसी की है. बीजेपी की सियासी बुलंदी में ओबीसी-दलित वोटर्स की भूमिका अहम रही है. ऐसे में बीजेपी किसी भी सूरत में दलित-पिछड़ों पर अपनी पकड़ कमजोर ढीली नहीं रखना चाहती है, इसलिए पीएम मोदी ने ओबीसी-दलित-महिलाओं के मुद्दे पर फोकस रखा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार और परिवारवादी सियासत पर जमकर हमले किए. उन्होंने कहा कि जब हनुमान जी को राक्षसों का सामना करना पड़ा था तो वो उतने ही कठोर भी हो गए थे. इसी प्रकार से जब भ्रष्टाचार की बात आती है, जब परिवारवाद की बात आती है, कानून व्यवस्था की बात आती है तो बीजेपी भी उतनी ही संकल्पबद्ध हो जाती है. मां भारती को इन बुराइयों से मुक्ति दिलाने के लिए कठोर होना पड़े तो कठोर भी हों. परिवारवाद, वंशवाद और क्षेत्रवाद की वंशज है सभी पार्टियां, जबकि भाजपा का कल्चर है एक दूसरे के लिए खप जाना.
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