बिहार: RCP सिंह पर सियासी माहौल गरम, सतह पर आया JDU के अंदर का 'शीतयुद्ध'
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जनता दल यूनाइटेड केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को राज्यसभा नहीं भेजेगी. उनकी जगह पार्टी की ओर से झारखंड जेडीयू के अध्यक्ष खिरू महतो राज्यसभा भेजे जाएंगे. खिरू महतो विधायक रह चुके हैं. इस संबंध में जेडीयू की ओर से आधिकारिक घोषणा कर दी गई है.
किसी ने सच कहा है- सियासत में कौन-कब पराया हो जाए और कब-कौन अपना हो जाए, ये कहा नहीं जा सकता. बिहार के सियासी पिच पर कल तक केंद्र के रास्ते बैटिंग करने वाले जदयू नेता आरसीपी सिंह की चर्चा चारों तरफ हो रही है. लेकिन आरसीपी सिंह जदयू नेतृत्व के फ्रेम से गायब हैं. इस गायब तस्वीर को लेकर जदयू के अंदर का शीतयुद्ध सतह पर आ गया है.
स्थिति ये हो गई है कि बिहार की सियासी फिजा में एक ही सवाल तैर रहा है- आरसीपी सिंह कहां हैं? और क्या वो केंद्र में इस्पात मंत्री के पद पर बने रहेंगे. हालांकि बीजेपी से बढ़ती नजदीकी के आधार पर आरसीपी सिंह ने कहीं ये बयान जरूर दे दिया है कि पीएम के आदेश का इंतजार करेंगे.
आरसीपी ने इशारों-इशारों में जदयू के फैसले को दिल पर लेते हुए गेंद पीएम नरेंद्र मोदी के पाले में डालकर अपने विरोधियों को थोड़ी देर के लिए अशांत कर दिया है. लेकिन क्या आरसीपी का रास्ता अलग हो गया है. ये सवाल भी बिहार के राजनीतिक जानकार करने लगे हैं. क्योंकि जब एनडीए के उम्मीदवार राज्यसभा सदस्य के नामांकन के लिए विधानसभा पहुंचे तो वहां जो फोटो सेशन हुआ, उस फ्रेम से आरसीपी सिंह गायब थे.
सबसे बड़ा सवाल है- क्या जदयू के अंदर जारी सियासी शीतयुद्ध सतह पर आ गया है. क्या आरसीपी सिंह अब अपना अलग रास्ता चुनेंगे? जवाब अभी किसी के पास नहीं है! सियासी पंडितों की मानें तो फिलहाल, विरोधी दल राजद और बीजेपी के अंदरखाने जदयू में मची इस कलह पर आनंद का माहौल है.
अब जरा आरसीपी सिंह के एक बयान पर गौर कीजिए. उन्होंने टिकट कटने पर कहा कि 'ये प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है, हम उनके पास जाएंगे और कहेंगे सर मेरे लिए क्या आदेश है...? वो मंत्री से कभी भी इस्तीफा मांग सकते हैं और हम कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं. नरेंद्र मोदी हमारे सर्वमान्य नेता हैं उनसे बात करेंगे सब लोग. हमें पार्टी ने अब तक कोई आदेश नहीं दिया है.'
आप इस जवाब के कई मायने निकाल सकते हैं. आखिर केंद्र में मंत्री रहने के दौरान आरसीपी को पीएम से ऐसा कौन-सा लगाव हो गया कि उनके अपने नेता नीतीश कुमार उनके बयानों के बीच शामिल नहीं हैं. इस जवाब के कई मायने और भी हैं, जिसमें आरसीपी दिखाना चाहते हैं कि हम आपके भरोसे ही नहीं हैं, हमने बीजेपी के अंदर अपनी सियासी क्रेडिबलिटी बना ली है.
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