बिहार से 4 गुना छोटा देश है इजरायल, कैसे 22 मुल्कों वाली अरब लीग के लिए बना मुसीबत
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यहूदियों का इतिहास वैसे भी जुल्म और खून से सना हुआ है. ऐसे में दुनिया के एकमात्र यहूदी देश इजरायल का सफर आसान नहीं था. आज इजरायल जिस मजबूती और ताकत के साथ दुनिाय के नक्शे में अपनी अलग जगह बना चुका है. उसके लिए उसे एक लंबे शोषण के दौर से गुजरना पड़ा है.
साल 1948 में दुनिया के नक्शे पर एक नए मुल्क की सरहदें खीचीं गईं. यह नया राष्ट्र कहलाया इजरायल. लेकिन यहूदियों के इस मुल्क के अस्तित्व को मिस्र, इराक, लेबनान, सऊदी अरब और जॉर्डन जैसे अरब मुल्क नकारते रहे. क्षेत्रफल के लिहाज से बिहार से भी चार गुना छोटे इजरायल को अरब वर्ल्ड अपने गले की फांस समझता है. यही वजह है कि इजरायल के अस्तित्व में आने से पहले ही अरब मुल्कों ने उस पर बहिष्कारों की बौछार करनी शुरू कर दी थी. लेकिन दशकों के शोषण और उपेक्षा सहने के बाद भी आज इजरायल सीना ताने खड़ा है.
यहूदियों का इतिहास वैसे भी जुल्म और खून से सना हुआ है. ऐसे में दुनिया के एकमात्र यहूदी देश इजरायल का सफर आसान नहीं था. आज इजरायल जिस मजबूती और ताकत के साथ दुनिया के नक्शे में अपनी अलग जगह बना चुका है. उसके लिए उसे एक लंबे शोषण के दौर से गुजरना पड़ा है.
अरब लीग कैसे बना?
इजरायल के गठन से पहले फिलिस्तीन में अलग राष्ट्र का समर्थन करने वाले यहूदी समुदाय को Yishuv कहा जाता था. इन यहूदियों का विरोध ही अरब लीग के जन्म का कारण बना. दो दिसंबर 1945 को छह देशों ने मिलकर अरब लीग (Arab League) की स्थापना की थी. आज 22145 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इजरायल के खिलाफ 22 देशों का यह गुट कई दशकों से मोर्चा खोले हुए है. इसी दिशा में अरब लीग ने बायकॉट इजरायल (Boycott Israel) स्ट्रैटेजी शुरू की. इसका मकसद अरब मुल्कों और इजरायल के बीच आर्थिक और अन्य संबंधों को पनपने नहीं देना था. इजरायल के साथ सभी तरह के व्यापारिक संबंधों पर रोक लगाई गई.
अरब लीग में 22 देश हैं, जिनमें अल्जीरिया, बहरीन, मिस्र, इराक, जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, लीबिया, मॉरिशियाना, मोरक्को, ओमान, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, सोमालिया, सूडान, ट्यूनीशिया, संयुक्त अरब अमीरात, यमन, जिबूती, कोमोरस और सीरिया है. सीरिया को फिलहाल अरब लीग से सस्पेंड कर दिया गया है.
इजरायल के खिलाफ अरब वर्ल्ड की बायकॉट स्ट्रैटेजी
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