बिहार वाले हो जाएं सावधान, खाने की चीजों से यूं बढ़ रहा कैंसर का खतरा!
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बिहार के गांवों में सिंचाई के पानी के जरिए आर्सेनिक लोगों के खाने तक पहुंच रहा है. ये खुलासा ब्रिटिश काउंसिल और केंद्रीय विज्ञान मंत्रालय की एक स्टडी में हुआ है. ये पहली बार है जब किसी स्टडी में स्थानीय रूप से उगाए जाने वाले खाद्य पदार्थों जैसे कि चावल, गेहूं और आलू में आर्सेनिक पाया गया है.
बिहार के गांवों में सिंचाई के पानी के जरिए आर्सेनिक लोगों के खाने तक पहुंच रहा है. ये खुलासा ब्रिटिश काउंसिल और केंद्रीय विज्ञान मंत्रालय की एक स्टडी में हुआ है. ये पहली बार है जब किसी स्टडी में स्थानीय रूप से उगाए जाने वाले खाद्य पदार्थों जैसे कि चावल, गेहूं और आलू में आर्सेनिक पाया गया है. हालांकि, यहां भूजल में केमिकल की मौजूदगी सालों से है. राज्य के 38 में से 22 जिलों में आर्सेनिक का स्तर WHO की 10 माइक्रोग्राम प्रति लीटर की सीमा से अधिक है.
कोटा जिला कलेक्टर ने तपती गर्मी से बच्चों को राहत देने के लिए कोचिंग संस्थानों को निर्देशित किया है कि दोपहर 12:00 बजे से पहले और 3:00 के बाद ही कोचिंग के बच्चों के क्लास का समय रखें. दोपहर 12 से 3 के बीच टेंपरेचर 47 से 48 रह रहा है और इस बीच अगर कोचिंग क्लास के लिए बच्चे निकलते हैं तो लू-ताप से बीमार होने की संभावना रहती है.