बिहारः एससी-एसटी क़ानून के तहत क़रीब 45,000 मामले लंबित, दोषसिद्धि दर आठ फीसदी
The Wire
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम मामलों की समीक्षा बैठक में सामने आया कि राज्य में इस क़ानून के तहत बीते 10 सालों में 67,163 मामले दर्ज किए गए. सर्वाधिक 7,574 मामले 2020 में दर्ज किए गए जबकि 2018 में यह संख्या 7,125 और 2017 में 6,826 थी.
पटनाः बीते 10 सालों में बिहार में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत 67,163 मामले दर्ज किए गए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई एससी-एसटी अधिनियम मामलों की समीक्षा बैठक से पता चला है कि अगर लंबित 39,730 मामलों को जोड़ भी दिया जाए तो कुल मामलों की संख्या 1,06,893 हो जाएगी. इनमें से 44,986 मामले अभी भी लंबित हैं.
बीते 10 सालों में अदालतों ने इस तरह के सिर्फ 872 मामलों में ही फैसला सुनाया है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चार सितंबर 2020 के बाद पहली बार 23 दिसंबर को हुई इस बैठक के बाद मामलों के धीमे निपटारे और इन मामलों में खराब दोषसिद्धि दर को लेकर चिंता जताई है.