
बाढ़, बारिश, बर्बादी की अंतहीन दास्तान… दिल्ली-मुंबई-चेन्नई में हर साल एक जैसी तबाही क्यों?
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दिल्ली-मुंबई और चेन्नई ऐसे शहर हैं जो बारिश में हर साल डूबते हैं. यहां सरकारों की तैयारियां थोड़ी सी बारिश में भी नाकाफी नजर आती हैं और इसका भुगतान आम जनता को करना पड़ता है, जिनके लिए रोजमर्रा के कामों की वजह से घर से निकलना मजबूरी है.
देश में दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून ने समय से पहले दस्तक दे दी है और महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु समेत कई राज्यों में भारी बारिश हो रही है. बारिश से हर साल की तरह इस साल भी कुछ शहर जलमग्न हो रहे हैं और कुछ इलाकों में तो बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. खासकर मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में बारिश की वजह से सड़कें लबालब हो चुकी हैं और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. लेकिन देश के कुछ शहर हर साल ही ऐसी तबाही झेलते हैं, जहां बारिश और फिर बाढ़ से होने वाली बर्बादी समय का चक्र बन चुका है.
हर साल बारिश से हाल बेहाल
दिल्ली का मिंटो ब्रिज राजधानी में बारिश की पहचान बन चुका है. यहां ब्रिज के नीचे हर साल बारिश में डूबी हुई बस या फिर कार की तस्वीर अखबारों की सुर्खियां बनती है, फिर भी यह बदस्तूर जारी है. राजधानी में सड़कों और नालों के निर्माण पर करोड़ों रुपये हर साल खर्च किए जाते हैं. इसे चमकाने के लिए बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लाए जाते हैं, फिर भी दिल्ली का हाल हर बारिश में एक जैसा ही रहता है.
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दिल्ली-मुंबई और चेन्नई ऐसे शहर हैं जो बारिश में हर साल डूबते हैं. यहां सरकारों की तैयारियां थोड़ी सी बारिश में भी नाकाफी नजर आती हैं और इसका भुगतान आम जनता को करना पड़ता है, जिनके लिए रोजमर्रा के कामों की वजह से घर से निकलना मजबूरी है. इन महानगरों में सड़कों पर सैलाब, मकान ढहने के हादसे, बिजली के तारों का टूटना और बाढ़ जैसे हालात हर साल की बारिश की कहानी बयां करते हैं. इसके लिए हर साल प्लानिंग होती है और पैसा भी खर्च किया जाता है, लेकिन आखिर में सारे इंतजाम धरे के धरे रह जाते हैं. लेकिन आखिर ऐसा क्यों होता है?
बढ़ती आबादी का दबाव

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