
फर्जी नाम, कागजी पहचान, 11 बार UPSC एग्जाम... ऐसे चली गई पूजा खेडकर की अफसरी!
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यूपीएसपी ने कहा है कि पूजा खेडकर का मामला अकेला ऐसा केस है, जिसमें यूपीएससी उनके दावेदारी की पहचान नहीं कर सका, क्योंकि पूजा ने सिर्फ अपना ही नहीं, बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था.
आखिरकार आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर अब एक्स आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर बन ही गईं. पूजा खेडकर पर लगे धांधली और जालसाज़ी के इल्ज़ामों के मद्देनजर जिस बात का डर था, वही हुआ. यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन यानी यूपीएससी ने ट्रेनी आईएएस के तौर पर उनकी उम्मीदवारी को खारिज कर दिया. यूपीएससी ने ना सिर्फ उनकी उम्मीदवारी खारिज की, बल्कि आगे भी उसके किसी इम्तेहान या चयन में शामिल होने पर रोक लगा दी. आइए आपको बताते हैं धोखेबाज पूजा की पूरी कहानी.
अपनी SOP में बदलाव करेगा UPSC 'आज तक' ने पूजा खेडकर पर लटकती उम्मीदवारी खारिज होने की तलवार का खुलासा किया था और ये बताया था कि उन्हें एक आईएएस के ओहदे से हमेशा-हमेशा के लिए हटाया जा सकता है और अब वही हो गया. पूजा खेडकर का ये मामला कितना संगीन है, इसका अंदाज़ा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूजा खेडकर के इस केस को देखते हुए यूपीएससी ने अपने एसओपी यानी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोशेड्योर में भी तब्दीली लाने का फैसला किया है, ताकि फिर कभी कोई यूपीएससी की आंखों में धूल झोंक कर नियम से हट कर ज़्यादा बार परीक्षाओं में शामिल ना हो सके.
पूजा ने बदल डाला था माता-पिता का नाम यूपीएसपी ने कहा है कि पूजा खेडकर का मामला अकेला ऐसा केस है, जिसमें यूपीएससी उनके दावेदारी की पहचान नहीं कर सका, क्योंकि पूजा ने सिर्फ अपना ही नहीं, बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था. यूपीएससी ने कहा है कि उसके पास उपलब्ध दस्तावेज़ों की शुरुआती जांच से ये साफ हो चुका है कि पूजा खेडकर ने सिविल सर्विसेज़ एग्जामिनेशन यानी सीएसई-2022 के नियमों का उल्लंघन किया.
30 जुलाई को अपना पक्ष रखने नहीं पहुंची पूजा यूपीएससी ने 18 जुलाई को पूजा खेडकर को इस सिलसिले में एक कारण बताओ नोटिस जारी किया था और पूछा था कि आखिर उन्होंने कैसे फ़र्ज़ी तरीके से अपनी पहचान बदल कर लिमिट से ज्यादा बार यूपीएससी की परीक्षाओं में हिस्सा लिया? उन्हें अपना जवाब देने के लिए 25 जुलाई तक वक्त दिया गया था, हालांकि पूजा ने फिलहाल जवाब देने के लिए 4 अगस्त तक का वक़्त मांगा है. जिस पर यूपीएससी ने उन्हें 30 जुलाई की दोपहर साढ़े तीन बजे तक का समय दिया था, ताकि वो अपना पक्ष रक सकें, लेकिन इसके बावजूद पूजा ने अपनी बात नहीं रखी. और तब यूपीएससी ने ये फैसला लिया.
अब होगी 15 वर्षों के उम्मीदवारों की जांच यूपीएससी ने पूजा को साफ कह दिया था कि यूपीएससी के लिए उसे 30 जुलाई से ज्यादा वक़्त देना मुमकिन नहीं है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पूजा खेडकर के मामले को देखते हुए ही यूपीएससी ने साल 2009 से लेकर साल 2023 तक यानी पिछले 15 सालों के सारे उम्मीदवारों को इम्तेहान में भाग लेने की बारी की जांच की, ताकि ये पता चल सके कि किसी ने पूजा खेडकर की तरह नियमों को धत्ता बता कर दिए गए अटैम्पट की सीमा से ज्यादा बार तो इम्तेहान नहीं दिया, लेकिन इन 15 सालों में इकलौता पूजा खेडकर का मामला ही ऐसा रहा, जिसमें किसी कैंडिडेड ने नियमों का उल्लंघन कर धोखे से ज्यादा पर इम्तेहान दिया. और ऐसा इसलिए मुमकिन हो सका क्योंकि पूजा ने अपने साथ-साथ अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था.
दस्तावेज़ों की सिर्फ प्राथमिक जांच यूपीएससी ने अभ्यर्थियों की ओर से जमा किए जाने वाले दस्तावेजों को लेकर भी अपना पक्ष साफ किया है. उसने कहा है कि चाहे वो जाति संबंधी प्रमाण पत्र हो, दिव्यांगता संबंधी या फिर कुछ और, यूपीएससी दस्तावेज़ों की सिर्फ प्राथमिक जांच करती है. मसलन यूपीएससी ये चेक करती है कि सर्टिफिकेट कंपिटेंट ऑथोरिटी की ओर से है या नहीं, उसपे दर्ज साल और दूसरे ब्यौरे सही हैं या नहीं, कहीं कोई ओवर राइटिंग तो नहीं है, वगैरह. अब बात पूजा खेडकर पर लगे धांधलीबाज़ी के आरोपों की.

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