प्रख्यात न्यायविद् और पूर्व क़ानून मंत्री शांति भूषण का 97 साल की आयु में निधन
The Wire
प्रख्यात न्यायविद् और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण ने वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द कराने वाले ऐतिहासिक मामले में शामिल थे. वे सार्वजनिक महत्व के कई मामलों में पेश हुए, जिसमें रफाल लड़ाकू विमान सौदा भी शामिल है.
नई दिल्ली: वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द कराने वाले ऐतिहासिक मामले में स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता राजनारायण का प्रतिनिधित्व करने वाले न्यायविद् और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण का मंगलवार को दिल्ली स्थित उनके घर में संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया. वह 97 साल के थे. Shri Shanti Bhushan Ji will be remembered for his contribution to the legal field and passion towards speaking for the underprivileged. Pained by his passing away. Condolences to his family. Om Shanti. Deeply pained to hear the news that former Union Law and Justice Minister Shanti Bhushan ji is no more. My deepest condolences to the family members on his passing away. My prayers for the departed soul. Om Shanti 🙏 pic.twitter.com/6T4IxiidbV लोकतंत्र के सतत प्रहरी, 44वें संशोधन के जरिए संविधान के रक्षक,लोकपाल आंदोलन के मार्गदर्शक, AAP के संस्थापक और स्वराज अभियान व स्वराज इंडिया के संरक्षक शांति भूषण जी का निधन हमारे गणतंत्र के लिए क्षति है।आपका स्नेह और आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहेगा,आपकी चुहल हमेशा गुदगुदाती रहेगी। pic.twitter.com/GVVJbEZfHC
अपने समय के वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण वर्ष 1977 से 1979 तक मोरारजी देसाई कैबिनेट में कानून मंत्री रहे थे. — Narendra Modi (@narendramodi) January 31, 2023 — Kiren Rijiju (@KirenRijiju) January 31, 2023 — Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) January 31, 2023
ऐतिहासिक राजनारायण बनाम इंदिरा नेहरू गांधी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जून 1975 के अपने फैसले में इंदिरा गांधी को चुनाव लड़ने से छह साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था. राजनारायण की ओर से मामले की पैरवी शांति भूषण ने की थी.
यह याचिका राजनारायण की ओर से दायर की गई थी, जिन्होंने 1971 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी के खिलाफ उत्तर प्रदेश के रायबरेली से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गये थे. उन्होंने इंदिरा गांधी पर भ्रष्ट चुनावी आचरण का आरोप लगाया था.