पॉल्यूशन के खिलाफ तैयार हुआ मेगाप्लान! दो दिन की आर्टिफिशियल बारिश के लिए दिल्ली सरकार देगी करोड़ों रुपये
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कृत्रिम वर्षा कराने के लिए क्लाउड सीडिंग एक प्रकार से मौसम में बदलाव का वैज्ञानिक तरीका है. इसके तहत आर्टिफिशियल तरीके से बारिश करवाई जाती है. कृतिम बारिश भारत के लिए कोई नई बात नहीं है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी के मुताबिक, भारत में सबसे पहले कृतिम बारिश की कोशिश 1951 में की गई थी.
दिल्ली-एनसीआर इन दिनों प्रदूषण की मार झेल रहा है. लोग जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं. ऐसे में दिल्ली सरकार ने आर्टिफिशियल बारिश कराने के लिए कमर कस ली है. राजधानी में 20 और 21 नवंबर के आसपास कृत्रिम बारिश कराई जाएगी. लेकिन इससे पहले सरकार ने पायलट स्टडी कराने का फैसला किया है जिसमें करोड़ो रुपये खर्च होंगे.
दिल्ली की केजरीवाल सरकार कृत्रिम बारिश की दो चरणों में होने वाली पायलट स्टडी का 13 करोड़ रुपए का खर्च खुद उठाने को तैयार हो गई है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को होने वाली सुनवाई से पहले अदालत में हलफनामे के जरिए प्रस्ताव दें.
मुख्य सचिव को यह भी कहा गया है कि वह अदालत से केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से जरूरी मंजूरी 15 नवंबर तक देने के लिए भी कहें ताकि 20 और 21 नवंबर को कृत्रिम बारिश के पहले चरण की पायलट स्टडी हो सके.
दिल्ली सरकार आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर महत्वाकांक्षी कृत्रिम बारिश प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. 20-21 नवंबर के आसपास दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है. इस सबंध में दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना प्लान रखेगी और इसमें केंद्र सरकार से सहयोग दिलाने का अनुरोध करेगी. अगर सुप्रीम कोर्ट से आदेश मिल जाता है तो आईआईटी कानपुर 20-21 नवंबर के आसपास दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने का पहला पायलट प्रोजेक्ट कर सकता है.
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के मुताबिक आईआईटी कानपुर का कहना है कि इसके लिए कम से कम 40 फीसद बादल चाहिए. इससे कम बादल पर बारिश नहीं करा सकते हैं. अगर असामान में 40 फीसद बादल हैं, तो वो बारिश करा सकते हैं. आईआईटी कानपुर का अनुमान है कि दिल्ली में 20-21 नवंबर के आसपास बादल होने की संभावना है.
कृत्रिम बारिश कराने को लेकर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय, राजस्व मंत्री आतिशी और अन्य अधिकारियों ने बुधवार को आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों के साथ अहम बैठक की थी.
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