'पीएम नरेंद्र मोदी पर भरोसा... रुकवा सकते हैं रूस-यूक्रेन युद्ध', फ्रांस की पत्रकार बोलीं
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रूस और यूक्रेन में चल रहा युद्ध आक्रामक होता जा रहा है. पिछले दिनों रूस के हमले में यूक्रेन के करीब 20 लोग मारे गए थे. इस बीच एक मांग उठने लगी है कि भारत यह जंग रुकवाने के लिए मध्यस्थता करे और दोनों देशों को बातचीत के लिए एक मेज पर लाए. अमेरिका के बाद अब फ्रांस से यह मांग सामने आई है.
रूस-यूक्रेन के बीच पिछले 332 दिनों से युद्ध जारी है. जंग और कितने दिन चलेगी अभी यह कहना मुश्किल है. इधर अब युद्ध को खत्म करने की आवाज भी उठने लगी है. रूस और यूक्रेन में शांति बनाने के लिए कई देश भारत की ओर उम्मीद से देख रहे हैं. एक फ्रांसीसी पत्रकार लौरा हैम का कहना है कि ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो बातचीत के लिए यूक्रेन और रूस को एक मेज पर ला सके. बहुत सारे लोग अब कह रहे हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वार्ता की शुरुआत को सुविधाजनक बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. हालांकि, इस समय यह बेहद मुश्किल लग रहा है क्योंकि यूक्रेन अब चर्चा नहीं करना चाहता है. वह चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लेकर कोई फैसला करे.
लौरा हैम ने कहा कि उन्हें यह देखकर हैरानी होती है कि अमेरिका में लोग रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में बात नहीं कर रहे हैं. हैम ने इंटरव्यू में कहा कि यूक्रेन में युद्ध बहुत लंबा चलने वाला है. मैं यह देखने स्तब्ध हूं अमेरिका में लोग राष्ट्रपति, दस्तावेजों और डोनाल्ड ट्रंप के बारे में बात कर रहे हैं और जब आप यूरोप में होते हैं, तो आप सिर्फ बात युद्ध के बारे में बात करते हैं. उन्होंने कहा कि कोई नहीं जानता कि यूक्रेन में क्या होने जा रहा है.
उन्होंने कहा कि रूस शायद नई तरह से लामबंदी करने की कोशिश करने जा रहा है, शायद ज्यादा हमले करने की तैयारी में हैं. हो सकता है कि कीव भी ताबड़तोड़ हमले करने शुरू कर दे. यूक्रेनियन बेहद साहसी हैं. वे पश्चिम से उनकी मदद करने के लिए कह रहे हैं.
उन्होंने कहा- "यूक्रेन के लोग कह रहे हैं कि वे पुतिन के साथ बातचीत नहीं करना चाहते हैं और वे क्रीमिया भी वापस चाहते हैं. रूसी हर समय उन पर बमबारी कर रहे हैं.
अमेरिका ने भी दिया था ऐसा ही बयान
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने 6 जनवरी को बयान दिया था- हम मानते हैं कि भारत जैसे देश, रूस और यूक्रेन के साथ संबंध रखने वाले देश बातचीत और कूटनीति में मदद करने की स्थिति में हो सकते हैं जो एक दिन इस जंग को समाप्त कर सकते हैं.