पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी की जमानत पर सुनवाई पूरी, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
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ED ने कोर्ट में बताया कि कुल 49.8 करोड़ रुपए की बरामदगी हुई है. ईडी का कहना था कि 1 नवंबर 2012 को पार्थ और अर्पिता ने साझेदारी की शुरुआत की थी. उन्होंने बेलघोरिया फ्लैट में कंपनी बनाई, जहां से कैश वसूल किया गया था. दोनों के फोन का डेटा भी बरामद किया गया है.
मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसे पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी की जमानत पर कोलकाता के सिटी सेशन कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. कोर्ट ने आदेश को सुरक्षित रख लिया है. थोड़ी देर में जमानत पर फैसला आ जाएगा. ईडी ने कोर्ट में कहा है कि अर्पिता मुखर्जी को लेकर खतरे की आशंका है. उनकी सुरक्षा देने की मांग की. ईडी ने कहा कि टेस्ट करने के बाद ही अर्पिता को भोजन और पानी दिया जाना चाहिए. वहीं, पार्थ को लेकर कोई खतरा नहीं जताया है.
ED ने कोर्ट में बताया कि कुल 49.8 करोड़ रुपए की बरामदगी हुई है. ईडी का कहना था कि 1 नवंबर 2012 को पार्थ और अर्पिता ने साझेदारी की शुरुआत की थी. उन्होंने बेलघोरिया फ्लैट में कंपनी बनाई, जहां से कैश वसूल किया गया था. दोनों के फोन का डेटा भी बरामद किया गया है. यह भी पूछताछ की जा रही है कि क्या ये कंपनियां मनी लॉन्ड्रिंग में भी शामिल थीं, इसलिए दोनों की न्यायिक हिरासत देना जरूरी है. इसके साथ ही ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के लिए सुरक्षा की मांग भी की. ईडी ने बताया कि अब तक 50 अकाउंट की जांच की जा रही है.
वहीं, पार्थ के वकील ने कहा कि ये एक ऐसे शख्स हैं जो भागेंगे नहीं. वह 72 साल के हैं और बीमार हैं. पार्थ चटर्जी के लिए लगातार दवा की जरूरत होती है. इसलिए हम जमानत की प्रार्थना करते हैं. अर्पिता मुखर्जी को जेल में टेस्टिंग के बाद खाना-पानी दिया जाए.
पार्थ चटर्जी के वकील ने कहा कि सीबीआई ने मामले में आरोपी को सीधे तौर पर पैसे लेते या मांगते नहीं देखा है. इस मामले में कोई गवाह नहीं है कि पार्थ चटर्जी ने पैसे मांगे हैं. पार्थ चटर्जी का किसी को पैसे के लिए प्रेरित करने का कोई उदाहरण नहीं है. दस्तावेज कहां है. ये सब आरोप हैं. पार्थ चटर्जी का आय से कोई लेना-देना नहीं है.
ईडी मामले में कोई दस्तावेज बरामद नहीं हुए हैं. वह लंबे समय से हिरासत में थे. लेकिन हिरासत का नतीजा क्या है. सिर्फ यह कहना कि पार्थ चटर्जी सहयोग नहीं कर रहे हैं, मानदंड नहीं है. अगर कोई इसमें शामिल नहीं है तो वह इसे कैसे स्वीकार कर सकता है. ईडी ने दावा किया था कि 31 एलआईसी पॉलिसियां मिली हैं जिनमें पार्थ चटर्जी नामित हैं. यह आरोप सिर्फ रंग देने वाला है. नियम के अनुसार पार्थ चटर्जी अर्पिता मुखर्जी के नॉमिनी नहीं हो सकते हैं.
पार्थ के वकील का दावा है कि ज्वाइंट प्रॉपर्टी डीड जाली हैं. संयुक्त कार्यों के मामले में वे जाली हैं. वह एक आम आदमी हैं और वह भी विधायक से इस्तीफा देने की सोच रहे हैं. पार्थ के वकील ने IPC 420 को कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि इस मामले में यहां आईपीसी 420 कैसे लागू होता है? ईडी को यह भी साबित करना चाहिए कि पार्थ चटर्जी ने पैसे की मांग की और उन्होंने पैसे स्वीकार कर लिए. ऐसा कोई आरोप नहीं है. ईडी ने सीबीआई द्वारा दर्ज मामले के आधार पर जांच शुरू की.
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