
पाकिस्तान की सुरक्षा की गारंटी ले रहा सऊदी अरब, क्या PAK की मिट्टी में पनप रहे आतंकियों की गारंटी भी लेगा?
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सऊदी अरब ने पाकिस्तान की सुरक्षा की गारंटी लेने वाले पैक्ट पर हस्ताक्षर तो कर दिया है, लेकिन सऊदी प्रशासन के पास पाकिस्तान में पनप रहे आतंकियों की करतूतों का क्या जवाब है? अगर भविष्य में ये आतंकी भारत के खिलाफ कोई दुस्साहस करते हैं तो ऐसी परिस्थिति में भारत के एक्शन पर सऊदी अरब का क्या जवाब होगा?
सऊदी अरब की राजधानी रियाद की आलीशान यमामा पैलेस में 17 सितंबर 2025 को एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर हुआ. सऊदी अरब और पाकिस्तान का ये समझौता स्पष्ट कहता है, "एक पर हमला, यानी दोनों पर हमला. यह समझौता सऊदी अरब के लिए सुरक्षा का एक वैकल्पिक ढाल है. जबकि पाकिस्तान के लिए यह आर्थिक संजीवनी. दोनों देशों ने इस समझौते का नाम दिया है 'स्ट्रेटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट.'
अल जजीरा के अनुसार रियाद को लगता है कि इस समझौते के बाद सऊदी अरब को इस्लामाबाद का 'न्यूक्लियर अम्ब्रेला' मिल जाएगा. ऐसे समय में जब गल्फ का देश कतर पिछले कुछ ही महीनों में दो बार हमले का शिकार हो चुका है तो सऊदी अरब के 'पाकिस्तानी एटम बम' का ये अप्रत्यक्ष भरोसा अहम है. वहीं आर्थिक दिवालियापन की कगार पर खड़ा, आईएमएफ के लोन पर चल रहा, चीनी कर्ज में डूबा और सब्सिडी की सऊदी तेल पर गुजारा कर रहे पाकिस्तान को विश्व पटल पर सऊदी अरब के रूप में एक भरोसेमंद सुरक्षा साझीदार मिल गया है.
यहां भारत के नजरिये से एक अहम सवाल उठता है. जब सऊदी अरब पाकिस्तान की सेना को अपना रखवाला बना रहा है, तो क्या वह पाकिस्तानी मिट्टी से पनप रहे आतंकियों की करतूतों की जिम्मेदारी लेगा.
पाकिस्तान लंबे समय से आतंकी समूहों का सुरक्षित पनाहगाह रहा है. लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन यहां से भारत, को निशाना बनाते हैं. 2001 का संसद हमला, 2008 मुंबई हमले से लेकर हाल के पुलवामा और पहलगाम तक के आतंकी घटनाओं में मसूद अजहर, हाफिज सईद का नाम आया है. इन हमलों में ISI की छाया भी साफ दिखती है.
अगर भविष्य में पाकिस्तान के ये दहशतगर्द भारत के खिलाफ फिर से दुस्साहस करते हैं या करने की कोशिश करते हैं तो ऐसी स्थिति में सऊदी अरब की प्रतिक्रिया क्या होगी.
आतंकियों के करतूतों की गारंटी कौन लेगा?

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