
पहाड़ों से फायरिंग, कबाइलियों की बर्बरता और वजीर मेहता का बलिदान... कश्मीर पर पहले पाकिस्तानी हमले की कहानी!
AajTak
कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुआ आतंकी हमला भारत को और भारतीयों को याद दिला गया कि पाकिस्तान कश्मीर को हमेशा रक्तरंजित करता रहेगा जब तक कि उसे करारी चोट न दी जाए. 1947 में देश की आजादी और अंग्रेजों द्वारा विभाजन किए जाने के साथ ही कश्मीर को हड़पने के लिए पाकिस्तान की साजिशें शुरू हो गईं थीं. कबाइलियों के भेष में पाकिस्तानी आतंकी कश्मीर पर हमले के लिए आने लगे और हिंदू तथा सिख आबादी और यहां तक कि कश्मीरी मुस्लिमों का भी खून बहाने लगे. इस खास सीरीज में हम आपको बताएंगे कश्मीर पर हुए पहले हमले की रक्तरंजित लेकिन अनसुनी सच्ची कहानियां. पढ़िए पार्ट-1...
छत्तीसिंहपुरा, उरी, पुलवामा और अब पहलगाम... ये केवल शहरों के नाम नहीं हैं बल्कि कश्मीर को हड़पने की पाकिस्तानी साजिश के रक्तरंजित पन्ने भी हैं... जहां पाकिस्तानी आतंकियों ने बेगुनाहों का खून बहाया और खुद को इंसान की जगह जानवर साबित किया. आतंकवाद के रूप में पाकिस्तान की ये वहशियत कोई नई नहीं है. जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पाकिस्तानी आतंक के तमाम ऐसे पन्ने हैं जिन्हें अगर पलटा जाए तो पाकिस्तान कोई मुल्क नहीं एक आतंकी संगठन के रूप में ही नजर आएगा, जिसके नेता और जनरल जनसेवक नहीं बल्कि आतंकी आकाओं का रोल निभाते दिखेंगे.
हां, तो हम शुरुआत करते हैं कि कश्मीर में आतंक की कहानी शुरू कैसे, कब और किनके द्वारा हुई थी. वो पहला दिन कब था जब कश्मीर पाकिस्तानी आतंक की साजिश से रक्तरंजित हुआ. दरअसल 1947 में जब अंग्रेज गए तो उन्होंने भारत और पाकिस्तान नामक दो देश बनवा दिए और 500 से अधिक रियासतों को आजादी देकर चले गए. सरदार पटेल ने अधिकांश रियासतों का भारत में विलय करा लिया लेकिन कश्मीर का मामला राजा हरि सिंह के हाथ में था. अब नए-नए बने पाकिस्तान को ये कैसे बर्दाश्त होता कि बड़ी मुस्लिम आबादी वाली एक रियासत उसकी सीमा पर बनी रहे और वो भी एक हिंदू राजा के हाथ में. तो उसने साजिशें रचनी शुरू कर दी.
उस समय के जम्मू-कश्मीर में 20 फीसदी आबादी हिंदुओं की, 70 फीसदी मुस्लिमों की और बाकी सिख समेत कई जातियों की आबादी थी. तब का कश्मीर जम्मू से लेकर मुजफ्फराबाद तक फैला हुआ था. जमीनी स्तर पर कश्मीर के हालात 15 अगस्त 1947 के बाद कैसे बदल रहे थे कृष्णा मेहता ने अपनी किताब में काफी विस्तार से वर्णन किया है. इसमें उनकी खुद की झेली हुई जिंदगी की कहानी भी है जो उन्होंने पहले कबाइली हमले में अपने परिवार को तबाह होते हुए देखकर महसूस की थी.
कृष्णा मेहता बाद में कश्मीर से संसद सदस्य भी बनीं. वे आजादी और विभाजन के समय कश्मीर रियासत के वजीर और आज के पीओके की राजधानी मुज़फ्फराबाद के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट दुनी चंद मेहता की पत्नी थीं. जब पहली बार कश्मीर पर पाकिस्तानी कबाइलियों ने हमला किया तो सबसे पहले मुज़फ्फराबाद में उनके सरकारी आवास को घेरा, शहर पर कब्जा जमाया और चारों ओर कत्लेआम मचाया. उस कायराना हमले में पाकिस्तान से आए कबाइलियों का सामना करते हुए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट दुनी चंद मेहता ने सर्वोच्च बलिदान दिया. काफी दिन उनके कब्जे वाले इलाके में रहने के बाद रेड क्रॉस की मदद से कृष्णा मेहता और उनके बच्चे श्रीनगर पहुंचे. उन्होंने अपनी किताब में कश्मीर के हमले का जो ब्योरा पेश किया है उसे सुनकर किसी की भी रूह कांप जाएगी.
कृष्णा मेहता अपनी किताब 'कश्मीर पर हमला' में लिखती हैं- ''जुलाई 1947 में मेरे पति दुनी चन्द मेहता को कश्मीर सरकार ने मुजफ्फराबाद का वजीर-वजारत बनाकर भेजा. श्रीनगर में वह असिस्टेंट गवर्नर के पद पर थे. वह जुलाई में ही अपना नया पद संभालने श्रीनगर से मुजफ्फराबाद गए. शासन की ओर से वहां एक कर्नल और फौज की एक टुकड़ी भी थी. मैं उस समय साथ न जा सकी क्योंकि कई मेहमान घर आए हुए थे. एक महीने बाद बच्चे और मैं भी वहां पहुंच गए. हमारे साथ हमारे दो बेटे, दो बेटियां और एक मेरे पति के भाई की बेटी थी. जिन सबकी उम्र 7 साल से 15 साल के बीच थी. हमारी कोठी वहां एक छोटे से टीले पर थी. उसके चारों ओर काफी खुली जगह थी. बीच में एक छोटा सा बाग और मैदान था. हमारी कोठी से थोड़ी दूर असिस्टेंट इंस्पेक्टर पुलिस की कोठी थी.
उस जगह से दो फरलांग दूर अस्पताल और डॉक्टर की कोठी थी. हमारी कोठी के एक ओर कुछ दूरी पर एक मस्जिद थी और दूसरी ओर साथ ही मुसलमानों की एक जियारतगाह के साथ घास और घने वृक्षों से भरपूर जंगल था. मुजफ्फराबाद जाने के तीन दिन बाद जन्माष्टमी का त्योहार आया. हम सबने घर में व्रत रखा. बच्चों का भी वहां मन लगने लगा था. मेरे पति हमेशा काम में बिजी रहते थे. वे कर्नल के साथ अलग-अलग मोर्चों के लगातार दौरे कर रहे थे. घर पर उन्होंने कभी नहीं बताया कि मोर्चों पर तनाव की कोई स्थिति बन रही है.''

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने कहा कि दोपहर 12 बजे तक इंतजार करें, उसके बाद कुरान पढ़ा जाएगा और शिलान्यास कार्यक्रम शुरू होगा. उन्होंने पुलिस प्रशासन से पूरा सहयोग मिलने की बात कही. वहीं, BJP नेता दिलीप घोष ने हुमायूं कबीर पर मुस्लिम वोट बैंक साधने का आरोप लगाया और कहा कि राम मंदिर बन चुका है, अब बाबरी मस्जिद को भूल जाना चाहिए.

बिहार के अररिया में यूपी की रहने वाली शिवानी वर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस का कहना है कि जिन शूटरों को 3 लाख रुपये में सुपारी दी गई थी, उनका निशाना दरअसल कोई और महिला टीचर थी. पति पर अफेयर के शक में एक महिला ने यह साजिश रची, लेकिन घटना वाले दिन टारगेट टीचर स्कूल नहीं आई और उसी स्कूटी से जाने वाली शिवानी को शूटरों ने गोली मार दी.

आर्म्स डीलर संजय भंडारी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ दाखिल सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर राऊज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई अगले साल जनवरी में होगी. बता दें कि PMLA के तहत इस मामले में रॉबर्ट वाड्रा का बयान भी इस साल जुलाई में प्रवर्तन निदेशालय ने दर्ज किया था.

पंजाब जिला परिषद और ब्लॉक समिति के चुनावों का मुद्दा हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. विपक्ष का आरोप है कि आम आदमी पार्टी लोकल बॉडी इलेक्शन में सरकारी तंत्र का दुरपयोग कर रही है. बीजेपी और अकाली दल के बाद कांग्रेस पार्टी की तरफ से हाईकोर्ट में चुनावों को लेकर एक याचिका दायर की गई है. जिसमें नॉमिनेशन की तारीख आगे बढ़ाने की मांग की गई है.

दिल्ली में नेहरू सेंटर इंडिया के लॉन्च कार्यक्रम में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने बीजेपी और उससे जुड़ी विचारधारा पर सीधा हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि वही सोच, जिसने महात्मा गांधी की हत्या का रास्ता तैयार किया था, आज भी सक्रिय है और उसके अनुयायी गांधी के कातिलों का महिमामंडन करते हैं. सोनिया ने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की विरासत को तोड़ने-मरोड़ने और उन्हें बदनाम करने की सुनियोजित मुहिम चलाई जा रही है.

दिल्ली की विशेष अदालत ने गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई की NIA कस्टडी 7 दिन और बढ़ा दी है. हाई सिक्योरिटी के बीच NIA मुख्यालय में हुई सुनवाई के दौरान स्पेशल जज ने ये फैसला सुनाया. एजेंसी को आगे भी सलमान खान फायरिंग, सिद्धू मूसेवाला मर्डर और बाबा सिद्दीकी हत्या जैसे मामलों में वांटेड अनमोल से पूछताछ करनी है.

इंडिगो फ्लाइट रद्दीकरण के कारण यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यात्रियों में खासा तनाव देखा जा रहा है. दिल्ली एयरपोर्ट ने इस बीच एक सलाह जारी की है कि इंडिगो के फ्लाइट ऑपरेशन अब धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. इसलिए यात्रियों से निवेदन है कि वे घर से निकलने से पहले अपनी बुकिंग और फ्लाइट की स्थिति को अवश्य जांच लें ताकि किसी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके. यह जानकारी यात्रियों के लिए राहत भरी खबर के रूप में आई है क्योंकि कई फ्लाइटें रद्द होने के कारण यात्रा बाधित हो रही थी.

चुनाव आयोग ने केरल में SIR की मियाद बढ़ाने का फैसला किया है. इंडिगो फ्लाइट कैंसिलेशन के कारण रेलवे ने कई रूट्स पर 116 अतिरिक्त कोच लगाए और साबरमती-दिल्ली के बीच स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा की है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 15 हजार लोगों की क्षमता वाला डिटेंशन सेंटर मॉडल सामने आया है, जिसमें बायोमेट्रिक और CCTV सुरक्षा होगी. फीफा ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पहला शांति पुरस्कार दिया.

इंडिगो की फ्लाइट कैंसिलेशन के कारण यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दिल्ली एयरपोर्ट ने हाल ही में एक एडवाइज़री जारी की है जिसमें बताया गया है कि इंडिगो के फ्लाइट ऑपरेशन अब धीरे-धीरे सामान्य होने लगे हैं. यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे घर से निकलने से पहले अपनी बुकिंग और फ्लाइट का स्टेटस जरूर चेक करें ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके. यह कदम यात्रियों की परेशानियों को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है.

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो में आई भारी अव्यवस्था ने पूरे देश की हवाई यात्रा को बुरी तरह प्रभावित किया. दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर, इंदौर, कोच्चि और तिरुवनंतपुरम सहित कई एयरपोर्ट पर फ्लाइट कैंसिलेशन और देरी की वजह से हजारों यात्री घंटों फंसे रहे. देर रात दिल्ली एयरपोर्ट अथॉरिटीज ने एडवाइजरी जारी की है.

कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने जवाहर भवन में नेहरू सेंटर इंडिया के उद्घाटन समारोह में सत्ताधारी दल पर जोरदार हमला किया. उन्होंने आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू को कलंकित करने की परियोजना आज की मुख्य रणनीति है. गांधी ने कहा कि इसका मकसद सिर्फ नेहरू को मिटाना नहीं, बल्कि देश की सामाजिक और राजनीतिक नींव को नष्ट करना है.


