
पहले Mamata, फिर Nitish... दो बड़ी पार्टियों के INDIA से एग्जिट के बाद कैसे बदल गया लोकसभा का गणित?
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पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी कांग्रेस को दो सीटें ऑफर कर रही हैं. जबकि कांग्रेस कम से कम सात से दस सीटें की मांग कर रही है. ममता उन सीटों को ही कांग्रेस को देने के लिए तैयार हैं, जो उसने 2019 के आम चुनाव में जीती थीं. बंगाल में कुल 42 सीटें हैं और 2019 में टीएमसी ने 22 सीटों पर जीत हासिल की थी.
आम चुनाव की घोषणा से ठीक पहले विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ब्लॉक में उथल-पुथल है. पश्चिम बंगाल में टीएमसी के अकेले चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद बिहार में जेडीयू ने अलायंस से ही नाता तोड़ लिया है और एनडीए का हिस्सा बन गई है. पंजाब में AAP को लेकर भी कयासबाजी तेज है. कहा जाने लगा है कि आने वाले दिनों में इंडिया ब्लॉक को कुछ और बड़े झटके लगने वाले हैं. फिलहाल, दो बड़ी पार्टियों बंगाल में TMC और बिहार में JDU के INDIA ब्लॉक से एग्जिट होने के बाद लोकसभा सीटों का गणित भी बदल गया है. जानिए कैसे...
बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी से मुकाबले के लिए 28 विपक्षी पार्टियों ने मिलकर इंडिया ब्लॉक का गठन किया था. इसके सूत्रधार जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार थे. डेढ़ साल पहले नीतीश ही विपक्ष के तमाम नेताओं से मिलने के लिए उनके राज्यों में गए. वहां गठबंधन की रूपरेखा पर बात की और 23 जून 2023 को पटना में पहली बैठक रखी. उसके बाद बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली में बैठकें आयोजित की गईं. लेकिन, इन बैठकों में ना सीट शेयरिंग का पेंच सुलझ पाया, ना इंडिया ब्लॉक के चेयरपर्सन और ना कन्वीनर के नाम पर सहमति बन सकी. बाद में वर्चुअल मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को चेयरपर्सन घोषित किया गया. वहीं, नीतीश कुमार, संयोजक बनने के लिए तैयार नहीं थे. विपक्षी दलों का प्लान था कि सभी 543 सीटों पर अपने जिताऊ उम्मीदवार उतारे जाएं और 60 फीसदी वोटों को जुटाकर बीजेपी की एनडीए सरकार को सत्ता से हटाया जाए.
'कांग्रेस और लेफ्ट से नाराज हैं ममता'
लेकिन, कुछ ही महीने के अंदर हालात यह बने कि पहले ममता बनर्जी ने बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. अब नीतीश ने भी इंडिया ब्लॉक का साथ छोड़ दिया है. 24 जनवरी को ममता बनर्जी ने कहा, आगामी लोकसभा चुनाव में TMC बंगाल में अकेले चुनाव लड़ेगी. ममता ने जब यह ऐलान किया, तब उनके मन में उपेक्षा का दर्द और तल्खी भी देखने को मिली. ममता का कहना था कि मैंने जो भी सुझाव दिए, वो सभी नकार दिए गए. इन सबके बाद हमने बंगाल में अकेले जाने का फैसला किया. उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बिना यह भी कहा कि वह पश्चिम बंगाल में यात्रा करने जा रहे हैं, इसकी जानकारी शिष्टाचार के नाते भी उनको नहीं दी गई. ये पूरी तरह गलत है. जब भी मैं गठबंधन की बैठकों में हिस्सा लेती हूं तो मुझे लगता है कि वामपंथी कंट्रोल हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. यह स्वीकार्य नहीं है. मैं उन लोगों से सहमत नहीं हो सकती, जिनके साथ मैंने 34 वर्षों तक संघर्ष किया है.
INDIA गठबंधन: 450 सीटों पर 'रनरअप फॉर्मूले' से कांग्रेस या क्षेत्रीय दल कौन फायदे में, किसे होगा नुकसान?
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