
पहलगाम अटैक में शामिल थे नाबालिग लड़के, सिर पर लगा था कैमरा... पिता को खोने वाले चश्मदीद का दावा
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पहलगाम को मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से जाना जाता है. 22 अप्रैल को पहलगाम के उसी प्रमुख पर्यटन स्थल बैसारन में आतंकवादियों ने हमला किया, जिसमें कम से कम 26 लोग मारे गए और कई अन्य लोग घायल हो गए. मृतकों में से अधिकांश दूसरे राज्यों के पर्यटक थे. उन्हीं में शामिल थे इंदौर के 58 वर्षीय सुशील नथानिएल.
जम्मू कश्मीर के पहलगाम शहर में हुए आतंकी हमले में इंदौर के रहने वाले एक शख्स को उसके 25 वर्षीय बेटे की आंखों के सामने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया. अब पिता को खोने वाले पीड़ित बेटे ने खुलासा किया है कि हमलावरों में नाबालिग लड़के भी शामिल थे, जिनके सिर पर कैमरा लगा था.
पहलगाम को मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से जाना जाता है. 22 अप्रैल को पहलगाम के उसी प्रमुख पर्यटन स्थल बैसारन में आतंकवादियों ने हमला किया, जिसमें कम से कम 26 लोग मारे गए और कई अन्य लोग घायल हो गए. मृतकों में से अधिकांश दूसरे राज्यों के पर्यटक थे, जिनमें इंदौर के 58 वर्षीय सुशील नथानिएल भी शामिल थे.
सुशील नथानिएल इंदौर से करीब 200 किलोमीटर दूर अलीराजपुर में जीवन बीमा निगम (एलआईसी) कार्यालय में प्रबंधक के पद पर तैनात थे. वे अपने पूरे परिवार के साथ कश्मीर घूमने गए थे. हमले के दौरान हमलावरों ने सुशील नथानिएल की बेटी आकांक्षा (35) के पैर में गोली मार दी. हालांकि, उनकी पत्नी जेनिफर (54) और बेटा ऑस्टिन उर्फ गोल्डी (25) सुरक्षित बच गए.
अपने पिता की मौत पर दुखी ऑस्टिन ने पीटीआई से कहा, 'आतंकवादियों में लगभग 15 साल के नाबालिग लड़के भी शामिल थे. जिनकी संख्या कम से कम चार थी. वे हमले के दौरान सेल्फी ले रहे थे और उनके सिर पर कैमरे लगे हुए थे.'
ऑस्टिन उर्फ गोल्डी ने खुलासा किया कि आतंकवादियों ने उनके पिता और मौके पर मौजूद अन्य लोगों से गोली मारने से पहले उनकी धार्मिक पहचान के बारे में पूछा था. 25 वर्षीय ऑस्टिन ने कहा कि यह पुष्टि करने के लिए कि कोई मुस्लिम है या गैर-मुस्लिम, उनसे 'कलमा' पढ़ने के लिए कहा गया था.
ऑस्टिन ने कहा कि अगर कोई आतंकवादियों के निर्देश पर 'कलमा' पढ़ता था, तो बाद में उसे कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया जाता था. उन्होंने भयावह घटना का वर्णन करते हुए कहा, 'मैंने देखा कि आतंकवादियों ने मेरे सामने ही छह लोगों को गोली मार दी.'

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