पश्चिम बंगाल चुनाव के वो अहम फैक्टर, जो तय करेंगे हार-जीत के समीकरण
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मतुआ समुदाय का बंगाल की 70 विधानसभा सीटों पर असर हैं, जिनमें नदिया इलाके की 17 विधानसभा हैं और उत्तर व दक्षिण 24 परगना में 64 सीटें हैं.
पश्चिम बंगाल में चुनाव की घोषणा हो गई है. यहं पर आठ फेज में चुनाव होगा. 27 मार्च को पहले चरण की वोटिंग होगी. एक अप्रैल को दूसरे फेज का मतदान, 6 अप्रैल को तीसरे फेज का मतदान, 10 अप्रैल को चौथे फेज का मतदान, 17 अप्रैल को पांचवे फेज का मतदान, 22 अप्रैल को छठे फेज का मतदान, 26 अप्रैल को सातवें फेज का मतदान और 29 अप्रैल को आखिरी आठवें फेज का मतदान होगा. 2016 के चुनाव में तीन सीट जीतने वाली बीजेपी इस बार टीएमसी के लिए मुख्य प्रतिद्वंद्वी नजर आ रही है. बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें है. पिछले चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 211 सीटों पर जीत दर्ज की थी. दूसरे नंबर पर कांग्रेस थी, जो सिर्फ 44 सीट जीतने में कामयाब रही थी. आइए एक नजर डालते हैं पश्चिम बंगाल चुनाव के 3 बड़े फैक्टर पर, जो इस बार के चुनाव को अलग बनाते हैं.देश के ज्यादातर मैदानी इलाकों में पड़ रही प्रचंड गर्मी के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने बड़ा फैसला लिया है. LG ने निर्देश दिया है कि इस भीषण गर्मी में मजदूरों को 12 बजे से लेकर 3 बजे तक काम से छुट्टी मिलेगी. साथ ही मजदूरों को मिलने वाली इस राहत के बदले कोई भी उनकी सैलरी नहीं काट सकेगा.
करीब सवा सौ गज के एक छोटे से मकान में यह अस्पताल चल रहा था. इस मकान की स्थिति ऐसी है कि वह किसी भी वक्त गिर सकता है. अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर ऑक्सीजन के सिलेंडर बिखरे मिले. इनमें से कुछ सिलेंडर के परखचे उड़े हुए थे, क्योंकि आग लगने के बाद इनमें विस्फोट हुआ था अस्पताल में लगी आग को भयावह रूप देने में इन ऑक्सीजन सिलेंडर ने भी मदद की.