
'पश्चिम के दबाव के बावजूद हम भारत को...', रूस ने अमेरिका को ठेंगा दिखाकर कह दी बड़ी बात
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर में भारत आ सकते हैं. इस दौरान पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी के शिखर समिट पर सबकी नजरें होंगी, जो द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा.
रूस और भारत के संबंधों को फिलहाल काफी दबाव का सामना करना पड़ रहा है. पश्चिमी देश चाहते हैं कि भारत, रूस से तेल खरीदना बंद कर दें. भारत, रूस से लगातार तेल खरीद रहा है, जिससे खफा डोनाल्ड ट्रंप पहले ही भारत पर टैरिफ लगा चुके हैं. लेकिन इन सबके बावजूद भारत में रूस के राजदूत ने बड़ा बयान दिया है.
भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलिपोव ने TASS को दिए इंटरव्यू में कहा कि रूस पश्चिम की सारी रुकावटों के बावजूद भारत को तेल का सबसे बड़ा सप्लायर बना हुआ है. हम भारत को ऊर्जा संसाधनों की खरीद के लिए अच्छी-अच्छी डील देते रहने को तैयार हैं.
रूस के राजदूत ने रोसनेफ्ट और लुकोइल जैसी रूसी तेल कंपनियों पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि रोसनेफ्ट और लुकोइल पर अमेरिकी प्रतिबंध निश्चित रूप से तेल की सप्लाई को प्रभावित कर सकते हैं. लेकिन फिर भी हमारे लिए हमेशा प्राथमिकता है. हम मानते हैं कि रूस, भारत का प्रमुख तेल सप्लायर्स में से एक का दर्जा बनाए रखेगा.
अलिपोव ने रूस-भारत संबंधों पर पश्चिमी दबाव को खारिज करते हुए कहा कि भारत ने रूस और भारतीय संबंधों को कमजोर करने और प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर अपनी स्थिति थोपने के पश्चिमी प्रयासों का मजबूती से मुकाबला किया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को दरकिनार कर लगाए गए एकतरफा अवैध प्रतिबंधों को मान्यता नहीं देता. वे स्पष्ट रूप से समझते हैं कि ऐसी प्रतिबंध पश्चिमी व्यापार और वित्तीय प्रणालियों में विश्वास को कमजोर करते हैं, जिससे स्वतंत्र अभिनेता वैकल्पिक तंत्रों की तलाश करने को प्रेरित होते हैं. हम ब्रिक्स और एससीओ जैसे गठबंधनों की क्षमता का पूर्ण उपयोग करने में आशाजनक अवसर देखते हैं.
इस इंटरव्यू में अलिपोव ने कहा कि प्रतिबंधों के बावजूद रूस और भारत के बीच सहयोग के नए क्षेत्रों को खोला है. अमेरिकी टैरिफ दबाव के कारण रूस का बाजार भारतीय समुद्री भोजन और अन्य वस्तुओं के लिए समाधान बन सकता है. संयुक्त उर्वरक उत्पादन के लिए अच्छे अवसर हैं.
पुतिन-मोदी के आगामी समिट पर क्या बोले?

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