पत्रकार से किसी को ख़तरे में डालकर ख़बर बनाने की उम्मीद नहीं की जाती: इलाहाबाद हाईकोर्ट
The Wire
ख़बर बनाने के लिए एक व्यक्ति को विधान भवन के सामने आत्मदाह के लिए उकसाने के मामले में आरोपी को ज़मानत से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि पत्रकार का काम है कि वे समाज में होने वाली प्रत्याशित या एकाएक हुई घटना पर नज़र रखें और बिना किसी लाग-लपेट के उसे दुनिया के सामने लाएं.
नई दिल्ली: एक पत्रकार से यह उम्मीद नहीं की जाती है कि वह किसी घटना को नाटकीय ढंग से पेश करे और समाचार रिपोर्ट के विषय को जोखिम में डाले. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस विकास कुंवर श्रीवास्तव की पीठ ने लखनऊ के पत्रकार शमीम अहमद की जमानत याचिका ठुकराते हुए यह टिप्पणी की. अहमद समाचार बनाने के लिए एक व्यक्ति को विधान भवन के सामने आत्मदाह के लिए उकसाने के मामले में सह-अभियुक्त हैं लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2020 में आरोपी पत्रकार शमीम अहमद ने मकान मालिक द्वारा बेदखल करने की धमकी पाने वाले एक व्यक्ति से विरोध में विधानसभा भवन के सामने खुद को आग लगाने के लिए कहा था. अहमद ने कथित तौर पर यह भी कहा था कि वे एक टेलीविजन समाचार चैनल पर वीडियो प्रसारित करेंगे, इस प्रकार इस मामले को उजागर करेंगे, जो इस व्यक्ति को बेदखल होने से बचाएगा.More Related News