
'न्याय जनता की भाषा में सरल और सुगम हो,' जजों के सम्मेलन में बोले PM मोदी
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हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज हमारे देश की बड़ी आबादी के सामने न्यायिक प्रक्रिया को समझने में भाषा आड़े आती है. पीएम मोदी ने कहा कि एक गंभीर विषय आम आदमी के लिए कानून की पेंचीदगियों का भी है. 2015 में हमने करीब 1800 ऐसे क़ानूनों को चिन्हित किया था जो अप्रासंगिक हो चुके थे.
दिल्ली के विज्ञान भवन में हाई कोर्ट्स के चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन शुरू हो गया है.कार्यक्रम की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेक्नोलॉजी पर खासा जोर दिया. पीएम ने कहा कि डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है. न्याय की देरी कम करने की कोशिश की जा रही हैं. बुनियादी सुविधाओं को पूरा किया जा रहा है. कोर्ट में वैकेंसी भरने की प्रोसेस चल रही है. न्यायपालिका की भूमिका संविधान के संरक्षक के रूप में है.
मोदी ने कहा कि बड़ी आबादी न्यायिक प्रक्रिया और फैसलों को नहीं समझ पाती, इसलिए न्याय जनता से जुड़ा जाना होना चाहिए. जनता की भाषा में होना चाहिए. आम लोगों को लोकभाषा और सामान्य भाषा में कानून समझने से न्याय के दरवाजे नहीं खटखटाने पड़ते हैं. उन्होंने कहा कि साझा सम्मेलन से नए विचार आते हैं. आज ये सम्मेलन आजादी के अमृत महोत्सव पर हो रहा है. कार्यपालिका और न्यायपालिका मिलकर देश के नए सपनों के भविष्य को गढ़ रहे हैं. हमें देश की आजादी के शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखते हुए सबके लिए सरल, सुलभ, शीघ्र न्याय के नए आयाम खोलने गढ़ने की ओर आगे बढ़ना चाहिए.
अदालतों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए
पीएम मोदी ने बताया कि जिला अदालत से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में खाली पदों को भरने का काम तेजी से आगे बढ़ा है. न्यायपालिका में तकनीकी संभावनाओं को मिशन मोड में आगे बढ़ा रहे हैं. बुनियादी आईटी ढांचा भी मजबूत किया जा रहा है. कुछ साल पहले डिजिटल क्रांति को असंभव माना जाता था. फिर शहरों में ही इसकी संभावना जताई गई. लेकिन अब गांवों में देश के कुल डिजिटल लेने-देन का 40% गांवों में ही हुए हैं. हमें अदालतों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए. इससे देश के आम नागरिकों का न्याय व्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा.
ई कोर्ट परियोजना मिशन मोड में लागू

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