
निजी लाभ का माध्यम बनती जा रही PIL, इस मुद्दे पर लिखने का समय आ गया है: जस्टिस बी.वी. नागरत्ना
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सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना ने हालिया जनहित याचिकाओं (PILs) के दुरुपयोग को लेकर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि जनहित याचिकाएं अपने मूल उद्देश्य से भटककर व्यक्तिगत लाभ का माध्यम बनती जा रही हैं.
सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बीवी नागरत्ना ने जनहित याचिकाओं (PIL) के बड़े पैमाने पर हो रहे दुरुपयोग पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि जनहित याचिका अपने मूल उद्देश्य से भटककर व्यक्तिगत लाभ के उपकरण बनती जा रही हैं और इस मुद्दे के बारे में सोचने और लिखने का समय आ गया है.
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा, 'जनहित याचिकाएं, जो कभी कमजोर तबकों के लिए न्याय का माध्यम थीं, अब “पैसा इंटरेस्ट लिटिगेशन” या “पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन” बनती जा रही हैं. इन दिनों असली जनहित याचिका कहाँ है? यह प्रवृत्ति न्यायिक प्रक्रिया में संदेह उत्पन्न कर रही है और वास्तविक जनहित से भटक रही है.'
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जनहित याचिकाओं के बारे में हो बात: जस्टिस नागरत्ना
जस्टिस बीवी नागरत्ना 'कानून, न्याय और समाज: उपेंद्र बक्सी के चयनित कार्य' पुस्तक के विमोचन के अवसर पर संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि वास्तविक जनहित याचिका और सामाजिक प्रभावी कानून की जरूरत है और ऐसा होता है तो फिर अदालतें उसी तरह प्रतिक्रिया देंगी जैसे उन्होंने 1980 के दशक के अंत में दी थी.
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि बक्सी ने जनहित याचिका को 'सामाजिक प्रभाव कानून' के रूप में सही वर्णित किया है और अब समय आ गया है कि वे जनहित याचिका के दुरुपयोग के बारे में सही बात करें. उन्होंने कहा कि हमें न केवल महान फैसलों की आवश्यकता है, बल्कि उनकी आलोचना करने के लिए विद्वानजनों की भी आवश्यकता है.

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