नहीं है कोई Plan-B, मैं बचे हुए जोकरों में आखिरी हूं... Infosys के को-फाउंडर ने क्यों कही ये बात?
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NR Narayana Murthy समेत सात लोगों द्वारा शुरू की गई Infosys आज 6,60,184.76 करोड़ रुपये के मार्केट कैपिटलाइजेशन के साथ आईटी सेक्टर में बड़ा नाम है. इसकी कमान गैर-कार्यकारी चेयरमैन के रूप में फिलहाल Nandan Nilekani संभाल रहे हैं.
देश में आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी इंफोसिस (Infosys) को स्थापित हुए 40 साल हो चुके हैं. एन आर नारायण मूर्ति (NR Narayana Murthy) ने अपनी पत्नी सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) से महज 10 हजार रुपये की उधारी लेकर इस कंपनी की शुरुआत की थी, जो आज दुनिया में कारोबार कर रही है. कंपनी में गैर-कार्यकारी चेयरमैन और इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि (Nandan Nilekani) ने इस मौके पर ऐसी बात कही, जो चर्चा का विषय बन गई है. दरअसल, उन्होंने कहा, 'मैं बचे हुए जोकरों में आखिरी हूं...' आइए जानते हैं उनका इशारा किस ओर था?
अभी तक नहीं मिला जिम्मेदार व्यक्ति Infosys को-फाउंडर नंदन नीलेकणि दूसरी बार कंपनी की बागडोर संभाल रहे हैं और कंपनी को खड़ा कर इस मुकाम पर पहुंचाने वाले नामों में से अकेले हैं जो कि अभी भी सक्रिय हैं. लेकिन उन्हें अब नए व्यक्ति की तलाश है, जो कंपनी की कमान संभालकर इसे नई ऊंचाइयों पर ले जा सके.
इंफोसिस के 40 साल पूरे होने के मौके पर उन्होंने बड़े ही मजाकिया अंदाज में कहा, 'मैं बचे हुए जोकरों में से आखिरी हूं...मुझ पर ही लीडरशिप स्ट्रक्चर को स्थापित करने की जिम्मेदारी है. मुझे अभी तक ऐसा व्यक्ति नहीं मिला है, जिसे मैं इस जिम्मेदारी को सौंप सकूं.'
'75 की उम्र में वापसी संभव नहीं' Nandan Nilekani ने कहा कि जब भी मैं इससे बाहर निकलूंगा, तो मैं पूरी जिम्मेदारी एक अध्यक्ष को सौंप दूंगा और वह व्यक्ति एक गैर-संस्थापक होगा. उन्होंने कहा कि यदि आप किसी को जिम्मेदारी देते हैं और यह काम नहीं करता है, तो फिर कोई Plan-B नहीं है, क्योंकि मैं 75 साल की उम्र में वापस नहीं आ सकता. कंपनी के चार दशक पूरे होने पर बुधवार को बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बड़ी बात कही.
इस मौके पर कंपनी के अन्य को फाउंडर नारायण मूर्ति, कृष गोपाल कृष्णन, एस डी शिबूलाल और के. दिनेश भी मौजूद थे. नंदन नीलेकणि के इस बयान से संकेत मिल रहे हैं कि आईटी दिग्गज इंफोसिस उनकी जगह लेने के लिए प्रतिभा की तलाश में है.
दूसरी बार नीलेकणि ने संभाली है जिम्मेदारी बता दें विशाल सिक्का के इस्तीफा देने के बाद सितंबर 2017 में नंदन नीलेकणि ने कंपनी के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में दोबारा इंफोसिस की कमान अपने हाथों में ली थी. इससे पहले उन्होंने मार्च 2002 से अप्रैल 2007 तक कंपनी की बागडोर संभाली थी. कंपनी के 40 साल पूरी होने के कार्यक्रम में इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने कहा कि नंदन नीलेकणी और सीईओ सलिल पारेख ने मिलकर 2017 के बाद कंपनी की तस्वीर बदलने का काम किया है.
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