नक्सलियों के खिलाफ 'ऑपरेशन प्रहार' में कहां हुई चूक? जानें बीजापुर मुठभेड़ की Inside Story
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गृहमंत्री अमित शाह ने इस पूरे मामले को लेकर के एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक बुलाई. सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने निर्देश दिए हैं कि नक्सलियों के खिलाफ "ऑपरेशन प्रहार" में किसी भी तरीके की कमी नहीं आएगी और नक्सलियों की मांद में घुसकर उनके खिलाफ ऑपरेशन किए जाएंगे.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में शनिवार को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए. इस घटना के बाद दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को हाई लेवल मीटिंग बुलाई, जिसमें नक्सलियों पर बड़े एक्शन का खाका खींचा गया. हालांकि आजतक को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, बीते कई सालों से दंडकारण्य स्पेशल जोन कमेटी क्षेत्र के तहत नक्सलियों का PLGA बटालियन नंबर-1 जो कि ताकतवर गुरिल्ला फोर्स है, देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर कर रहा था. बस्तर के इलाके में प्रभावी तरीके से ऑपरेशन किया जाए इसी कारण से माओवादियों के कोर क्षेत्र में अपनी जान की परवाह न करते हुए डीआरजी, एसटीएफ कोबरा एवं सीआरपीएफ के जवानों द्वारा लगातार ऑपरेशन इनकी मांद में घुसकर चलाए जा रहे हैं. इसी सिलसिले में 3 अप्रैल को जिला बीजापुर और सुकमा के बॉर्डर पर तरतेम के पहाड़ी इलाकों में PLGA-1 माओवादियों की उपस्थिति की सूचना मिली थी जिसके आधार पर DRG, एसटीएफ, कोबरा एवं सीआरपीएफ की संयुक्त नक्सल विरोधी अभियान टीम को ऑपरेशन के लिए रवाना किया गया था.नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
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