दूसरी वैक्सीन से कितनी अलग है रूस की Sputnik-V? क्या हैं इसके साइड इफेक्ट्स? जानें
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भारत में कोरोना की अब एक और नई वैक्सीन आ गई है. सोमवार को ड्रग कंट्रोलर ने रूसी वैक्सीन Sputnik-V के इमरजेंसी यूज की मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही कोवैक्सीन और कोविशील्ड के बाद Sputnik-V तीसरी वैक्सीन है, जिसे भारत ने मंजूरी दी है. लेकिन इस वैक्सीन में क्या खास है? इसकी कीमत क्या हो सकती है? आइए जानते हैं....
देश में बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच एक अच्छी खबर आई है. वो ये कि भारत को कोरोना से लड़ाई के लिए एक और वैक्सीन मिल गई है. सोमवार को सेंट्रल ड्रग्स अथॉरिटी ने रूस की वैक्सीन Sputinik-V के इमरजेंसी यूज की मंजूरी दे दी है. कोवैक्सीन और कोविशील्ड के बाद ये तीसरी वैक्सीन है, जिसे मंजूरी मिली है. भारत दुनिया का 60वां देश है जिसने Sputinik-V को मंजूरी दी है. कोरोना संक्रमण के खिलाफ रूसी वैक्सीन Sputinik-V की एफिकेसी फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना की वैक्सीन के बाद सबसे ज्यादा 91.6% है. क्या कहता है वैक्सीन का डेटा? साइंस जर्नल लैंसेट के मुताबिक, 60 साल से ऊपर के लोगों पर जब Sputnik-V का ट्रायल किया गया, तो पहला डोज लगने के 21 दिन बाद तक उन लोगों में कोरोना के गंभीर या मध्यम लक्षण नहीं दिखाई दिए और इस एज ग्रुप में इसकी एफिकेसी रेट 91.8% दर्ज की गई थी. इस तरह से ये नतीजा निकाला गया कि कोरोना के गंभीर या मध्यम मरीजों के खिलाफ वैक्सीन 100% कारगर है. इसके अलावा रूस में 18 साल से ऊपर के 20 हजार से ज्यादा वॉलेंटियर्स पर इसके फेज-3 ट्रायल्स किए गए थे. कुल मिलाकर ये सामने आया था कि कोरोना के खिलाफ वैक्सीन 91.6% प्रभावी है. भारत में 1,300 वॉलेंटियर्स पर इसके फेज-3 ट्रायल किए गए हैं. इसके नतीजे जून 2021 तक सामने आने की बात कही जा रही है.नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
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