दुल्हन लेने पहुंचे हेलीकॉप्टर को नहीं मिली लैंडिंग की परमिशन, दूल्हे ने ऊपर से ही लगा लिए गांव के 7 फेरे
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Bihar News: दुल्हन के घरवालों ने हेलीकॉप्टर लैंडिंग के लिए गांव के खेत में ही हेलीपैड तैयार कर लिया था, लेकिन सिक्योरिटी का हवाला देते हुए जिला प्रशासन ने लैंडिग की परमिशन नहीं दी, जिसकी वजह से गया एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर चलकर मोहद्दीपुर गांव के ऊपर मंडराया और सात फेरे लगाए और फिर जमशेदपुर के लिए रवाना हो गया.
बिहार के जहानाबाद जिले में दूल्हा हेलीकॉप्टर से सात फेरे लेने के लिए पहुंचा था. लेकिन जिला प्रशासन ने हेलीकॉप्टर लैंडिंग की इजाजत नहीं दी. इस के बाद लड़के वाले ने गांव के ऊपर से ही हेलीकॉप्टर से सात फेरे लगाए. वहीं, वर और वधु को गया एयरपोर्ट के रास्ते जमशेदपुर के लिए विदा करना पड़ा. यह मामला जहानाबाद जिले के घोषी थाना इलाके के मोहद्दीपुर गांव का है.
मोहद्दीपुर गांव के रहने वाले रामानंद दास की दिली ख्वाहिश थी कि वह अपनी डॉक्टर बेटी को शादी करने के बाद हेलीकॉप्टर से विदाई करें. दुल्हन की मां राजकुमारी भी हाल ही में रेलवे के हॉस्पिटल से रिटायर्ड हुई थीं. उनकी भी इच्छा थी कि बेटी की शादी के बाद गांव से ही हेलिकॉप्टर से ही विदा की जाए. लेकिन प्रशान से इजाजत नहीं मिलने के बाद वर-वधु को गया एयरपोर्ट से ही उड़ान भरना पड़ी. प्रशासनिक सहमति नहीं मिलने के बाद दुल्हन के परिवार वालों में काफी अफसोस एवं प्रशासन के खिलाफ गुस्सा है. 9 लाख रुपए में हेलीकॉप्टर किराए पर किया था बुक रामानंद दास अपनी डॉक्टर बेटी मेघा रानी की शादी 27 नवंबर को जमशेदपुर के रहने वाले डॉ विवेक कुमार से बोधगया के होटल में की थी. 28 नवंबर को अपने पैतृक मोहद्दीपुर गांव से हेलीकॉप्टर में बैठकर विदा करने के लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली थीं. विदाई के लिए उनके बेटे मृत्युंजय कुमार ने पटना से लगभग 9 लाख रुपए में हेलीकॉप्टर किराए पर बुक कराया था.
खेत में ही हेलीपैड दुल्हन के घरवालों ने हेलीकॉप्टर लैंडिंग के लिए गांव के खेत में ही हेलीपैड तैयार कर लिया था, लेकिन सिक्योरिटी का हवाला देते हुए जिला प्रशासन ने लैंडिग की परमिशन नहीं दी, जिसकी वजह से गया एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर चलकर मोहद्दीपुर गांव के ऊपर मंडराया और सात फेरे लगाए और फिर जमशेदपुर के लिए रवाना हो गया. देखें Video:-
जहानाबाद जिला प्रशासन ने अरमानों पर फेर दिया पानी दुल्हन के पिता रामानंद दास ने कहा, "मेरी बेटी घर में ही पढ़कर डॉक्टर बनी थी. तो उसी वक्त हमलोगों ने करार कर लिया था कि जो बाहर पढ़ने में पैसा खर्च होता है, उसी पैसे से हेलीकॉप्टर में बैठकर बेटी को विदा करूंगा. लेकिन प्रशासन ने सिक्योरिटी का हवाला देकर इजाजत नहीं दी.
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