दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश वाली जगह पर भी पानी को तरसते हैं लोग, क्यों रिकॉर्ड बारिश के बाद भी सूखा खत्म नहीं हो रहा?
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देश के बहुत से हिस्सों में इस वक्त जलप्रलय आया हुआ है, लेकिन कुछ ही महीने बीतेंगे, जब इन्हीं जगहों पर पानी की कमी होने लगेगी. दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश वाली जगह- मेघालय के मावसिनराम और चेरापूंजी तक से पानी की कमी की शिकायत आती रही. ऐसा क्या है जो भरपूर पानी के बाद भी कई जगहों पर सूखे की नौबत आ जाती है.
भारतीय पर्यावरण और वन मंत्रालय ने नब्बे के दशक में दावा किया था कि पूर्वोत्तर राज्यों से 245 वर्ग मील के लगभग जंगल गायब हो चुके हैं. इस बात ने काफी तहलका मचाया था क्योंकि ये राज्य अपनी हरियाली और जमकर बारिश के लिए जाने जाते थे. अब लगभग तीन दशक बाद हालात और खराब हो चुके. यहां तक कि जैसे ही यहां कुछ दिनों के लिए बारिश रुकती है, खेतों और घरों में पानी की कमी होने लगती है.
यहां तक कि दुनिया में सबसे ज्यादा नम कहलाती जगह मावसिनराम तक के यही हाल हैं, जहां सालाना औसतन 11, 802 मिलीमीटर पानी गिरता है.
इसलिए एक ही जगह पर पानी भी, और सूखा भी
पानी के पैटर्न में जैसे ही बदलाव होता है, कोई न कोई मुसीबत आती है. मसलन, ज्यादा बारिश होने पर बाढ़ का खतरा रहता है, तो कम होने पर सूखा पड़ने का. साइंस की ये मोटी बात हम सब जानते रहे, लेकिन इसमें एक बात मिसिंग है. अगर ऐसी जगह पर जरूरत से ज्यादा बारिश हो, जहां जंगल कम और कंक्रीट ज्यादा है तो दोनों ही हालात एक साथ बनेंगे. यहां बाढ़ भी आएगी और पानी के सूखते ही सूखा पड़ने लगेगा. ऐसा इसलिए होता है कि कंक्रीट के पास वो ताकत नहीं होती कि वो पानी को सोखकर अपने में प्रिजर्व कर ले. मिट्टी का पानी को सोख पाना सूखे से बचाव का सबसे बड़ा स्टेप है.
क्या है कारण?
‘जिस घर में कील लगाते जी दुखता था, उसकी दीवारें कभी भी धसक जाती हैं. आंखों के सामने दरार में गाय-गोरू समा गए. बरसात आए तो जमीन के नीचे पानी गड़गड़ाता है. घर में हम बुड्ढा-बुड्ढी ही हैं. गिरे तो यही छत हमारी कबर (कब्र) बन जाएगी.’ जिन पहाड़ों पर चढ़ते हुए दुख की सांस भी फूल जाए, शांतिदेवी वहां टूटे हुए घर को मुकुट की तरह सजाए हैं. आवाज रुआंसी होते-होते संभलती हुई.
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