
दुनिया का 'ग्रेट डिप्रेशन', रुपये की कीमत और महमूद का गाना 'सबसे बड़ा रुपैया'
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क्या आप जानते हैं कि पैसे के महत्व का गुणगान करते 'सबसे बड़ा रुपैया' गाने का अमेरिका के ऐतिहासिक स्टॉक मार्किट क्रैश से भी कनेक्शन है? गाने में आपने रुपये की महिमा तो खूब सुनी होगी, लेकिन इस गाने की महिमा भी अपने आप में बहुत दिलचस्प है. चलिए बताते हैं...
'छैला बाबू' (1977) बॉलीवुड लेजेंड राजेश खन्ना की उन फिल्मों में से एक है जो आज लोगों को याद भी नहीं हैं. लेकिन इसमें एक कमाल का गाना था. गाने में जिसमें नायिका जीनत अमान सवाल कर रही हैं, 'यार दिलदार तुझे कैसा चाहिए, प्यार चाहिए कि पैसा चाहिए?' सवाल का वजन तौलने के बाद, नायक का जवाब आता है, 'यार दिलदार तेरे जैसा चाहिए, प्यार के लिए मगर पैसा चाहिए!' यानी कुल मिलाकर रुपया महत्वपूर्ण तो बहुत है और शायद प्यार से भी ज्यादा. प्यार का महीना कहे जाने वाले फरवरी में 14 तारीख वाले वैलेंटाइन्स डे से पहले 1 तारीख वाला बजट आ गया. टैक्स में छूट अनाउंस हुई तो कितने ही लोगों को अपने हजारों रुपये बचने की खुशी हुई.
दूसरी तरफ डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत भी इसी फरवरी में चर्चा का मुद्दा है. इस रुपये की असली कीमत जब भी बतानी होती है तो लोग एक फिल्मी गाने को मुहावरे की तरह इस्तेमाल करते हैं. मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा हुआ, महमूद की आवाज में गाया गीत 'सबसे बड़ा रुपैया'.
मगर क्या आप जानते हैं कि पैसे के महत्व का गुणगान करते इस गाने का अमेरिका के ऐतिहासिक स्टॉक मार्किट क्रैश से भी कनेक्शन है? 'सबसे बड़ा रुपैया' गाने में आपने रुपये की महिमा तो खूब सुनी होगी, लेकिन इस गाने की महिमा भी अपने आप में बहुत दिलचस्प है. चलिए बताते हैं...
पैसे की कीमत बताता 'सबसे बड़ा रुपैया' महमूद, विनोद खन्ना और मौसमी चटर्जी स्टारर फिल्म 'सबसे बड़ा रुपैया' (1976) का टाइटल ट्रैक, समय के साथ एक मुहावरा बन चुका है. विनोद खन्ना ने फिल्म में एक बड़े रईस, अमित राय का रोल निभाया था जो हमेशा लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहता है. महमूद इस आदमी के करीबी दोस्त और एम्प्लॉयी, नेकीराम के रोल में थे.
नेकीराम लगातार अमित को सोच-समझकर लोगों की मदद करने की और हिसाब से खर्च करने की सलाह देता है. पैसे की वैल्यू बताने के लिए ही नेकीराम अमित के सामने 'सबसे बड़ा रुपैया' गाता है, जो असल में ये किरदार निभा रहे महमूद की रियल आवाज है. मगर अमित मानता ही नहीं और एक तरह से, मदद करने के नाम पर अपनी दौलत लुटाए जा रहा है.
वक्त बदलता है और अमित की सारी दौलत और उसका खानदानी घर उससे छिन जाता है. उसके सभी करीबी और उसकी मंगेतर उसे छोड़कर चले जाते हैं. इसके पीछे एक साजिश है जिसका रचयिता नेकीराम है. अमित को शहर छोड़ना पड़ता है और वो पहाड़ों पर जाकर एक लेबर के तौर पर दोबारा जीवन शुरू करता है. उसकी जान पर भी बन आती है. लेकिन तब सामने आता है कि अमित की दौलत ऐसे ही नहीं गई बल्कि नेकीराम ने उसे पैसे की कीमत सिखाने के लिए ये खेल किया है. ये कहानी 1971 की कन्नड़ फिल्म 'Kasidre Kailasa' से रीमेक की गई थी. 'सबसे बड़ा रुपैया' गाने के जरिए असल में नेकीराम ने अमित को चेतावनी दी थी. अमित ने बात नहीं समझी इसलिए नेकीराम ने उसे मुश्किल तरीके से सबक सिखाया.













