
दिल्ली से महाराष्ट्र तक... संविधान पर घमासान! 'समाजवाद-धर्मनिरपेक्षता' हटाने की मांग पर RSS और विपक्ष में बहस
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आरएसएस के सरकार्यवाह ने आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्षता' शब्दों को हटाने पर विचार करने की बात कही. इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हंगामा मच गया और विपक्ष ने आरएसएस तथा बीजेपी पर निशाना साधा.
आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने इमरजेंसी के 50 वर्ष पूरे होने पर संविधान की प्रस्तावना को लेकर प्रश्न खड़े किए. होसबोले बोले, आपातकाल के दौरान संविधान में समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता शब्द जोड़े गए. अब इन्हें हटाने पर विचार होना चाहिए.
इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हंगामा मच गया. लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरएसएस और बीजेपी पर निशाना साधा. राहुल ने कहा एक बार फिर आरएसएस का नकाब उतर गया. बीजेपी होसबोले के बयान का समर्थन कर रही है.
दत्तात्रेय होसबोले ने क्या कहा?
दत्तात्रेय होसबोले ने कहा, 'दो शब्द जोड़े गए हैं, सेक्युलरिज़्म और सोशलिज्म की. तो क्या वो रहनी चाहिए? बाबा साहेब अंबेडकर का नाम और संविधान पिछले कुछ सालों में भारतीय राजनीति के केंद्र में लगातार शीर्ष पर बना हुआ है. संविधान पर सरकार बनाम विपक्ष की लगातार जंग को हर किसी ने देखा है. लेकिन इन सबके बीच आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर आरएसएस में नंबर दो की हैसियत रखने वाले दत्तात्रेय होसबोले ने भारतीय संविधान के 42वें संशोधन पर सवाल खड़े किए. उनका कहना था कि जिस संविधान की प्रस्तावना को बाबा साहेब अंबेडकर ने लिखा था उसे इंदिरा सरकार ने बदल दिया. जब समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे शब्द भारतीय संविधान में 1976 में जोड़े गए'.
होसबोले ने कहा, 'इस आपातकाल के दौरान भारत के संविधान के प्रस्तावना में दो शब्द जुड़े गए. हम लोगों को मालूम है सेकुलरिज़्म और सोशलिज्म के वो प्रस्तावना में नहीं थे. पहले तो इन दो शब्दों को प्रस्तावना में जोड़ा. बाद में इसको निकालने के प्रयत्न हुआ नहीं है. चर्चा हुई दोनों प्रकार के आर्गुमेंट्स हुए. तो क्या वो रहनी चाहिए? प्रस्तावना में ये विचार होना चाहिए'.
राहुल गांधी ने क्या कहा?

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