दिल्ली के एवरेज AQI से ज्यादा क्यों पहुंच रहा कुछ इलाकों का AQI आकड़ा?
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सीपीसीबी के मुताबिक 28 नवंबर को बारिश के बाद भी पंजाबी बाग इलाके का 24 घंटे का औसत AQI 402 दर्ज हुआ, जो कि 1 दिन पहले 439 ही रहा. वही आईटीओ का AQI 27 नवंबर को 438 दर्ज किया गया तो बारिश के बाद 28 नवंबर को 435 दर्ज हुआ.
सीपीसीबी के मुताबिक 28 नवंबर को बारिश के बाद भी पंजाबी बाग इलाके का 24 घंटे का औसत AQI 402 दर्ज हुआ, जो कि 1 दिन पहले 439 ही रहा. वही आईटीओ का AQI 27 नवंबर को 438 दर्ज किया गया तो बारिश के बाद 28 नवंबर को 435 दर्ज हुआ. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि दिल्ली में अब प्रदूषण का मुख्य कारक प्रदूषण के ‘हॉट स्पॉट’ इलाक़े ही होने लगे हैं. पंजाबी बाग़, वजीरपुर, और ओखला ऐसे हॉट स्पाट हैं जहां पर नवंबर में अधिकतर हवा की क्वालिटी सीवियर ही रही.
यहीं नही बीते एक सप्ताह में दिल्ली के सभी स्टेशन का AQI के आकड़ों पर से पता चला कि इलाक़े जो प्रदूषण के ‘हॉटस्पॉट’ है और जहां प्रदूषण की रोकथाम के लिए विशेष प्रबंध की बात की जा रही थी, उनका AQI दिल्ली के ओवरऑल AQI से बहुत ज़्यादा था. बीते दिनों में CPCB के आकड़ों के मुताबिक़ यदि दिल्ली का एवरेज AQI बहुत ख़राब श्रेणी में रहा तो इन हॉटस्पॉट का AQI गंभीर श्रेणी में दर्ज हुआ.
बारिश से प्रदूषण में सुधार तो हुआ लेकिन कई सवाल भी खड़े हो गए. जहां पहले पराली को बड़ा संकट बताया जा रहा था, वहीं बाद में दिवाली में आतिशबाजी प्रदूषण का कारण बनी और अब जब पराली जलाने की घटनाएं कम हो रही है, कृषि के जानकार कहते हैं कि पराली जलाने की घटनाएं कम होती जायेंगी, क्योंकि अब नयी फसल का समय आ गया है, तो वही छठ के बाद त्योहारों का भी दौर ख़त्म हो गया, फिर भी ये प्रदूषण थमने का नाम क्यों नहीं ले रहा. वरिष्ठ पर्यावरणविद डा. राम बूझ ने बताया कि पीक गुजरने का बाद भी प्रदूषण कम नही होने के लिए बहुत से कारक जिम्मेदार हैं.
सबसे खास बात है कि हॉटस्पॉट के आस पास जहां भी खाली जगह हो वहां पर प्लांटिंग और घास लगाकर एंटी स्मॉग गन से पानी का छिड़काव किया जाए. कुछ ऐसा ही चीन और लंडन ने किया जहां पर एक्यूआई 50 के अंदर ही रहता है.
प्रदूषण को बढ़ाने वाले लोकल कारक
1. रोड ट्रैफिक- दिल्ली का रोड ट्रैफ़िक इसलिए क्योंकि वाहनों का संचालन दिल्ली में बहुत ज़्यादा है, लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साधनों से ज़्यादा व्यक्तिगत संसाधनों का प्रयोग करते हैं ये एक बड़ा कारण है. पराली के बिना ही दिल्ली एनसीआर गंभीर प्रदूषण की चपेट में है. इसके पीछे वजह दिल्ली का ट्रांसपोर्ट बताया जाता है. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दावा किया कि दिल्ली के अंदर गाड़ियों से प्रदूषण 36 प्रतिशत और बायोमास बर्निंग का योगदान 31% है. bs3 पेट्रोल और bs4 डीजल गाड़ियों पर रोक है. डा राम बूझ कहते हैं ऐसे में सरकारों को ज्यादा से ज्यादा इलैक्ट्रिक वाहनों को बेड़े में शामिल करना चाहिए.
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