
दिल्ली की मानसून तैयारी की खुली पोल, IGI एयरपोर्ट के पास NH8 पर नाले 'गायब', NHAI को नए ड्रेनेज का निर्देश
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पिछले 20 साल में IGI एयरपोर्ट के आसपास हाईवे और इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास हुआ, लेकिन पुराने नालों को बचाने या जोड़ने का कोई प्लान नहीं बनाया गया. NHAI ने सड़कें बनाईं, MCD ने अंदरूनी नाले संभाले, एयरपोर्ट ने अपना नेटवर्क देखा और DMRC ने मेट्रो पर काम किया. लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा कि बचा हुआ पानी कहां जाएगा.
IGI एयरपोर्ट के पास NH8 पर बारिश के पानी और घरों के गंदे पानी को निकालने वाले नाले जो पहले इस इलाके को बाढ़ से बचाते थे अब गायब-से हो गए हैं. नगर निगम के रिकॉर्ड्स में उनका कोई ज़िक्र नहीं है और इसके साथ ही दिल्ली की मानसून से लड़ने की तैयारी भी इस अहम कॉरिडोर पर नदारद दिखती है. 25 जून को स्थानीय विधायक कैलाश गहलोत ने महिपालपुर और रंगपुरी के निवासियों की सालों पुरानी शिकायतों के बाद मौके का दौरा किया. इस दौरान पता चला कि NH8 के किनारे बने अहम नाले जो पहले बारिश का पानी सड़क और आसपास के घरों से हटाते थे अब ढूढ़े नहीं मिल रहे.
निरीक्षण में ये भी पाया गया कि NH8 और महिपालपुर के लोकल ड्रेनेज सिस्टम के रास्तों में भ्रम की स्थिति है जिससे पानी की धाराएं आपस में उलझ रही हैं. अब गायब हो चुके नाले की लोकेशन को खोजने के लिए खुदाई का आदेश भी दिया गया है. बीजेपी विधायक ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा कि NH8 पर कहीं भी बारिश का नाला नहीं है. इससे महिपालपुर चौराहे और आसपास के इलाकों में बारिश का पानी निकल नहीं पाता. मैंने NHAI को कहा है कि तुरंत ड्रेन की योजना बनाएं.
पुराने नाले, नई मुसीबतें
स्थानीय लोगों और अधिकारियों ने बताया कि जो नाला पहले नजफगढ़ ड्रेन से जुड़ा था, अब बाधित हो गया है. हाईवे, एयरपोर्ट का विस्तार और मेट्रो निर्माण की वजह से यह नाला दब गया या गायब हो गया. अब जब निकासी का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं है तो गंदा पानी (सीवेज मिला बारिश का पानी) एयरपोर्ट की इंटरनल ड्रेनेज में भरने लगा है और कई बार ये मुख्य सड़कों पर भी फैल जाता है, जिससे अर्बन प्लानिंग एंड सेफ्टीको लेकर नई चिंताएं खड़ी हो गई हैं.
30 साल पुराना नाला, जो अब कहीं नहीं है
ये कोई नई समस्या नहीं है. स्थानीय लोग बताते हैं कि कभी 30–40 साल पहले यहां एक नाला हुआ करता था, जो अब कई बार की सड़क चौड़ीकरण, मेट्रो व एयरपोर्ट निर्माण के चलते गायब हो चुका है. महिपालपुर के एक बुजुर्ग निवास ने बताया कि हमेशा से यहां एक चैनल था. पानी सीधे नजफगढ़ ड्रेन की तरफ बहता था. अब तो पानी उल्टा बहता है और यहीं अटक जाता है. मानसून निरीक्षण से जुड़े अधिकारियों ने भी माना कि पुराना नाला आधा ढंका हुआ है, आधा खो गया है और अब तक किसी भी अपडेटेड नक्शे में ठीक से ट्रैक नहीं किया गया.

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