
दशकों में पहली बार! नए 'टुकड़ों' में बंटेगा पाकिस्तान, क्या कह रहे एक्पर्ट्स?
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पाकिस्तान सरकार नए प्रांत बनाने की योजना पर तेजी से काम कर रही है, जिसका उद्देश्य प्रशासनिक सुधार और बेहतर सेवा वितरण बताया जा रहा है. हालांकि, विशेषज्ञों ने इस कदम को लेकर गंभीर चेतावनी दी है कि यह विभाजन देश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है.
पाकिस्तान और 'विभाजन' शब्द सुनते ही 1971 की याद आती है, जब इस्लामी गणराज्य दो हिस्सों में बंट गया था और अपना पूर्वी प्रांत, ईस्ट पाकिस्तान, खो बैठा था. लेकिन आज जिस विभाजन की बात हो रही है, वह बिल्कुल अलग तरह का है, एक ऐसा विभाजन जिसे मौजूदा पाकिस्तानी शासन अब आक्रामक तरीके से आगे बढ़ा रहा है.
रविवार को पाकिस्तान के संचार मंत्री, अब्दुल अलीम खान ने कहा कि पाकिस्तान में छोटे-छोटे प्रांत 'निश्चित तौर पर बनाए जाएंगे'. उन्होंने तर्क दिया कि इससे शासन और सरकारी सेवाओं में सुधार होगा. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान में प्रांतों का और विभाजन फायदेमंद से ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है.
आजादी के समय 1947 में पाकिस्तान में पांच प्रांत थे- ईस्ट बंगाल, वेस्ट पंजाब, सिंध, नॉर्थ-वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस (NWFP) और बलूचिस्तान.
1971 के मुक्तियुद्ध (Liberation War) के बाद ईस्ट बंगाल स्वतंत्र होकर बांग्लादेश बन गया. वेस्ट पंजाब पंजाब कहलाया, NWFP का नाम बदलकर खैबर पख्तूनख्वा (KP) रखा गया, और सिंध व बलूचिस्तान पहले जैसे ही रहे.
पाकिस्तान को प्रशासनिक रूप से और बांटने की तैयारी ऐसे समय में हो रही है जब बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में अलगाववादी आंदोलनों ने गति पकड़ ली है. इन दोनों ही प्रांतों में हो रहे उग्र विरोध का सामना करने के लिए फील्ड मार्शल आसिम मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ‘हाइब्रिड सरकार’ पूरी ताकत लगा रही है.
पाकिस्तान के अखबार 'Dawn' की रिपोर्ट के अनुसार, देश के संचार मंत्री अलीम खान के बयान से पहले इस मुद्दे पर हाल ही में कई सेमिनार, मीडिया चर्चाएं और बहसें आयोजित हुई हैं.

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