दंगा प्रभावित मणिपुर की छात्रा को मिला केरल के स्कूल में दाखिला, रिश्तेदारों की मदद से बचकर आई
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छोटी बच्ची मणिपुर के एक सीमावर्ती गांव की रहने वाली है. वो अपने एक रिश्तेदार की मदद से अपने दंगा प्रभावित गृह राज्य से केरल पहुंची थी. वहां तीसरी कक्षा में दाखिला लिया. स्कूल ने बच्ची के तमाम कागजी दस्तावेजों की मांग नहीं की. पढ़ें- क्या है पूरा मामला...
हमउम्र साथियों के साथ अब वो अपने नये स्कूल में खुश नजर आ रही है. अपने गृह राज्य मणिपुर में हुए खूनी दंगों के बुरे सपने अब उसकी याददाश्त से गायब हो गए हैं. नन्हीं होयनेगेम उर्फ जे जेम मणिपुरी लड़की है, जिसे हाल ही में थायकॉड में मॉडल गवर्नमेंट एलपी स्कूल में तीसरी कक्षा में दाखिला दिया गया था.
राज्य के शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी गुरुवार को उससे मिलने स्कूल आए, तो छोटी लड़की कक्षा में अपने दोस्तों के साथ खेलने में व्यस्त थी. मंत्री ने पीटीआई से कहा कि जय जेम मणिपुर के एक सीमावर्ती गांव की रहने वाली है और वह एक रिश्तेदार की मदद से अपने दंगा प्रभावित गृह राज्य से केरल आई थी. पता चला है कि हमलावरों ने उसका घर जला दिया और उसके माता-पिता और भाई-बहन गांव छोड़कर भाग गए.
छात्रा को सभी सरकारी सहायता का वादा करते हुए, मंत्री ने कहा कि जय जेम अब केरल की “दत्तक बेटी” है. जब वह प्रवेश के लिए आई तो उसके पास कोई रिकॉर्ड नहीं था. शासन ने उन्हें बिना स्थानांतरण प्रमाणपत्र (टीसी) के प्रवेश की अनुमति दे दी. लड़की को यूनिफॉर्म सहित सभी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं. उन्होंने कक्षा में कुछ देर के लिए बच्ची से बातचीत भी की.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि केरल में शांति से रहने और पढ़ाई करने का सामाजिक माहौल है, मणिपुर की मौजूदा स्थिति बहुत दुखद है. शिवनकुट्टी ने मांग की कि अधिकारी हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें.
बता दें कि 3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 150 से अधिक लोगों की जान चली गई है और कई घायल हुए हैं. यह हिंसा तब हुई जब मेइतेई समुदाय ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया था. बता दें कि मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
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