तेजस्वी की राह क्लियर रखने की 'लालू नीति'? कन्हैया और पप्पू यादव के खिलाफ लालू फैमिली की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी
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बिहार की सियासत के दो बड़े चेहरों का कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरना तय माना जा रहा था लेकिन ऐसा हुआ नहीं. कन्हैया कुमार की बेगूसराय सीट आरजेडी ने लेफ्ट को दे दी तो वहीं पप्पू यादव की दावेदारी वाली पूर्णिया से खुद उम्मीदवार उतार दिया. अब तेजस्वी ने कहा है कि बीमा भारती को वोट नहीं देना चाहते तो एनडीए को जिता दीजिए. इसके पीछे क्या है?
बिहार की सियासत के पुराने दिग्गज पप्पू यादव और उभरते चेहरे कन्हैया कुमार लोकसभा चुनाव में पूर्णिया और बेगूसराय सीट से टिकट के मजबूत दावेदार थे. दोनों ही कांग्रेस पार्टी में हैं और कांग्रेस ने भी पुरजोर प्रयास किए कि कन्हैया के लिए बेगूसराय, पप्पू यादव के लिए पूर्णिया सीट ले ली जाए. लेकिन सूबे की सियासत के 'रिंग मास्टर' लालू यादव ने ऐसा दांव चला कि बिहार की लोकसभा सीटों से इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का सपना टूट गया, कांग्रेस को मैराथन मंथन के बाद दो सीटों की अपनी जिद छोड़नी पड़ी.
लालू यादव की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनता दल ने पहले कन्हैया कुमार की दावेदारी वाली बेगूसराय सीट लेफ्ट को दे दी. बाद में पप्पू के दावे वाली पूर्णिया सीट से ऐन वक्त पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) विधायक बीमा भारती को लेकर लालटेन सिंबल से चुनाव मैदान में उतार दिया. कन्हैया कुमार को कांग्रेस ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया है लेकिन पप्पू यादव पूर्णिया में डट गए हैं. पप्पू निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं और इस सीट को अब आरजेडी ने भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है.
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने एक दिन पहले बीमा भारती के समर्थन में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कुछ ऐसा कह दिया कि सियासी हंगामा खड़ा हो गया है. तेजस्वी ने मंच से कहा कि अगर आप बीमा भारती को वोट देना नहीं चाहते तो एनडीए को जिता दीजिए. तेजस्वी के इस बयान को पप्पू यादव को लेकर आरजेडी के जीरो टॉलरेंस से जोड़कर देखा जा रहा है. अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि पहले कन्हैया कुमार और अब पप्पू यादव के खिलाफ बिहार में लालू फैमिली की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी क्यों है?
तेजस्वी की राह क्लियर करने की रणनीति?
वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क ने कहा कि लालू यादव राजनीति के मंझे खिलाड़ी हैं. अब अगर उन्होंने कन्हैया को बिहार में घुसने नहीं दिया और तेजस्वी पूर्णिया में इंडिया नहीं तो एनडीए को वोट दे देने की बात कह रहे हैं तो इसके भी अपने मायने हैं. कन्हैया की इमेज एक अच्छे वक्ता के रूप में रही है और उनका मजबूती से उभरना तेजस्वी की सियासत के लिए खतरा हो सकता है.
कन्हैया कुमार अगर बेगूसराय सीट से चुनाव मैदान में उतरते तो आसपास की सीटों पर भी इसका असर पड़ता. यह कांग्रेस के लिए तो मुफीद होता लेकिन आरजेडी के लिए चिंता बढ़ाने वाला. कन्हैया और पप्पू की दावेदारी वाली सीटें आरजेडी का कांग्रेस को न देना जीत-हार के गुणा-गणित से अधिक तेजस्वी के लिए रास्ता क्लियर रखने की 'लालू नीति' से जोड़कर देखा जा रहा है.
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