
'तू मेरा शौक देख, मेरा इंतजार देख...', जब संसद में दिखा था मनमोहन सिंह का शायराना अंदाज
AajTak
पंद्रहवीं लोकसभा में एक बहस के दौरान पीएम रहे मनमोहन सिंह ने भाजपा पर निशाना साधते हुए मिर्जा गालिब का मशहूर शेर पढ़ा, ‘‘हम को उनसे वफा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफा क्या है.’’ इसके जवाब में सुषमा स्वराज ने कहा कि अगर शेर का जवाब दूसरे शेर से नहीं दिया जाए तो ऋण बाकी रह जाएगा.
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह नहीं रहे. यूपीए सरकार में वे दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे. मनमोहन सिंह की छवि बहुत सौम्य और विनम्र वक्ता की रही है. वह कम शब्दों में अपनी बात कह जाते थे. वे हमेशा नपे-तुले और सीधे-सधे जवाब देने के लिए जाने जाते रहे. जहां संसद में अपनी बात रखते हुए अन्य सांसद और मंत्री अक्सर शायरी-कविताओं का काफी प्रयोग करते दिखते रहे हैं, मनमोहन सिंह के भाषणों में यह सब बातें बहुत नजर नहीं आती थीं, लेकिन सोचिए, सौम्य छवि वाले एक नेता के तौर पर पहचाने गए मनमोहन सिंह अपनी किसी बात को रखते हुए कोई शेर कह रहे हों... क्या नजारा रहा होगा.
सुषमा स्वराज के साथ हुई थी शायराना बहस यह वाकया एक नहीं, संसद में कुछ विशेष मौकों पर नजर आया. बात 15वीं लोकसभा की करें तो उस दौरान सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच अक्सर वाकयुद्ध वाली स्थिति बन जाती थी. इसी दौर में सुषमा स्वराज और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच हुई शेर-ओ-शायरी वाली बहस को लोग अब भी याद करते हैं. सुषमा स्वराज उस समय सदन में नेता प्रतिपक्ष थीं.
जब मनमोहन सिंह ने सदन में पढ़ा गालिब का शेर पंद्रहवीं लोकसभा में ही एक बहस के दौरान पीएम रहे मनमोहन सिंह ने भाजपा पर निशाना साधते हुए मिर्जा गालिब का मशहूर शेर पढ़ा, ‘‘हम को उनसे वफा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफा क्या है.’’ इसके जवाब में सुषमा स्वराज ने कहा कि अगर शेर का जवाब दूसरे शेर से नहीं दिया जाए तो ऋण बाकी रह जाएगा. इसके बाद उन्होंने बशीर बद्र की मशहूर रचना पढ़ी, ‘‘ कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता.’’ इसके बाद सुषमा ने दूसरा शेर भी पढ़ा, ‘‘तुम्हें वफा याद नहीं, हमें जफा याद नहीं, जिंदगी और मौत के दो ही तराने हैं, एक तुम्हें याद नहीं, एक हमें याद नहीं.’’ सुषमा स्वराज के इस शेर के बाद सदन में मौजूद सदस्य अपनी हंसी नहीं रोक पाए थे.
साल 2011 में का वाकया भी है मशहूर इसी तरह साल 2011 में भी दोनों नेता आमने-सामने थे. मनमोहन सिंह ने इकबाल के एक शेर के जरिए अपनी बात कही थी. उन्होंने कहा, 'माना कि तेरे दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक देख, मेरा इंतजार देख.' इस पर सुषमा ने कहा था, 'ना इधर-उधर की तू बात कर, ये बता कि काफिला क्यों लुटा, हमें रहज़नों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है.'
समय का दौर ऐसा है कि अब भाजपा की वरिष्ठ नेता रहीं सुषमा स्वराज भी नहीं हैं और आज पीएम रहे मनमोहन सिंह का भी निधन हो गया है, लेकिन सदन में दोनों नेताओं के बीच हुई यह बहस अब भी याद की जाती है. आगे भी याद की जाएगी.

संसद के शीतकालीन सत्र में 8 और 9 दिसंबर 2025 को राष्ट्रगीत वंदे मातरम् पर दोनों सदनों में विशेष चर्चा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री इस चर्चा को संबोधित करेंगे. चर्चा का उद्देश्य वंदे मातरम् के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान प्रासंगिकता को उजागर करना है.

भारत-रूस बिजनेस फोरम में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निर्धारित किया है. राष्ट्रपति पुतिन के साथ चर्चा में यह स्पष्ट हुआ कि व्यापार लक्ष्य समय से पहले पूरा किया जाएगा. कई क्षेत्रों जैसे लॉजिस्टिक्स, कनेक्टिविटी, मरीन प्रोडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा, और टेक्सटाइल में सहयोग को आगे बढ़ाया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर के 711 अग्निवीर आज भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं. श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर में इन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद ये अग्निवीर देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात होंगे. इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत हुई है.

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुक्रवार को अपने एक साल का सफर तय कर लिया है. संयोग से इस समय महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, जिसे लेकर त्रिमूर्ति गठबंधन के तीनों प्रमुखों के बीच सियासी टसल जारी है. ऐसे में सबसे ज्यादा चुनौती एकनाथ शिंदे के साथ उन्हें बीजेपी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे से भी अपने नेताओं को बचाए रखने की है.

नो-फ्रिल्स, जीरो कर्ज, एक ही तरह के जहाज के साथ इंडिगो आज भी खड़ी है. लेकिन नए FDTL नियमों और बढ़ते खर्च से उसकी पुरानी ताकत पर सवाल उठ रहे हैं. एयर इंडिया को टाटा ने नया जीवन दिया है, लेकिन अभी लंबी दौड़ बाकी है. स्पाइसजेट लंगड़ाती चल रही है. अकासा नया दांव लगा रही है. इसलिए भारत का आसमान जितना चमकदार दिखता है, एयरलाइन कंपनियों के लिए उतना ही खतरनाक साबित होता है.








