तुर्की में एर्दोगन के विरोधी कमाल की तुलना राहुल गांधी से क्यों हो रही?
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तुर्की में राष्ट्रपति एर्दोगन को राष्ट्रपति चुनावों में विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार कमाल कलचदारलू से कड़ी टक्कर मिल रही है. तुर्की की विपक्षी पार्टी CHP और भारत की विपक्षी पार्टी कांग्रेस में काफी समानताएं हैं. ठीक उसी तरह कमाल कलचदारलू और राहुल गांधी के बीच भी कई समानताएं है जैसे दोनों ही नेताओं की छवि को सत्ताधारी पार्टी की तरफ से नुकसान पहुंचाने की कोशिश हुई है.
एशिया के दो महान लोकतंत्र तुर्की और भारत हजारों मील दूर हो सकते हैं, रहन-सहन और विशेषताओं में अलग हैं लेकिन इन दोनों देशों में राजनीतिक हालात और नेताओं के व्यवहार में एक बड़ी समानता है. एक पत्रकार के रूप में दो दशक से अधिक समय तक भारत की राजनीति को कवर करने के बाद और 2019 से तुर्की की राजनीति को करीब से देखने के बाद, मुझे ऐसा लगता है कि तुर्की में भारत की राजनीति को हैरतअंगेज समानताओं के साथ दोहराया जा रहा है. कई विश्लेषक वर्षों से तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैली, शक्ति, कार्यप्रणाली और राजनीतिक अपील में समानता देखते आए हैं, यहां तक कि तुर्की की सत्तारूढ़ केंद्र-दक्षिणपंथी रूढ़िवादी जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी, जिसे एके पार्टी भी कहा जाता है, और भारतीय जनता पार्टी के बीच भी काफी समानताएं हैं. न केवल मुख्य विपक्षी दलों बल्कि अन्य छोटे दलों के बीच भी एक उल्लेखनीय समानता है.
इफ्तिखार गिलानी से जानें तुर्की चुनाव की बड़ी बातें
दिलचस्प बात यह है कि धर्मनिरपेक्ष केंद्र-वाम विपक्षी रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी (CHP, तुर्की), जिसकी एक समृद्ध ऐतिहासिक विरासत है, भारत में कांग्रेस पार्टी जैसी ही समस्याओं से जूझ रही है. जिस तरह कांग्रेस, जिसने स्वतंत्रता संग्राम और गणतंत्र की स्थापना में भूमिका निभाई, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत का दावा करती है, उसी तरह CHP भी आधुनिक तुर्की के संस्थापक मुस्तफा कमाल अतातुर्क की विरासत का दावा करती है. अतातुर्क ने 9 सितंबर, 1923 को CHP की स्थापना की थी.
तुर्की और भारत की राजनीति में ढेरों समानताएं
समानताएं यहीं खत्म नहीं होतीं. CHP जिसने लगभग 33 सालों तक तुर्की पर शासन किया, 1979 के बाद से सत्ता में नहीं है. 1979 में पार्टी मुस्तफा बुलेंट एसेविट के नेतृत्व में मध्यावधि चुनाव हार गई थी. उसके बाद से पार्टी अलग-अलग सरकारों, कई राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के लिए एक सहायक पार्टी बनी हुई है.
लेकिन 2002 में राजनीतिक पटल पर एर्दोगन की एके पार्टी के उदय के साथ ही काला सागर के गरीब और कम विशेषाधिकार वाले क्षेत्रों, केंद्रीय अनातोलिया और पूर्वी अनातोलिया में पार्टी का प्रभाव नाटकीय रूप से कम हो गया है. यह ऐसा ही है जैसा यूपी और बिहार के हिंदी बेल्ट में कांग्रेस पार्टी सिमटती जा रही है. CHP का राजनीतिक प्रभाव अब धनी कुलीन भूमध्यसागरीय (अक्डेनिज बोल्गेसी) और एजियन (एगे बोल्गेसी) क्षेत्रों तक सीमित है, जिसमें इस्तांबुल, इजमिर और अंकारा जैसे प्रमुख शहर शामिल हैं. पार्टी अभी तक देश के वंचित क्षेत्रों में प्रभाव बढ़ाने वाले एर्दोगन की काट नहीं ढूंढ पाई है. यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसकी परवाह तुर्की के शासकों ने गणतंत्र की स्थापना के बाद से ही नहीं की है.
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